पुलिस अधिकारी के बेटे का फर्जीवाड़ा, किराए की बाइक को लेकर विवाद, युवक के तोड़ दिए पैर

Gaurav Sharma
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जबलपुर,संदीप कुमार। जिले के घमापुर निवासी युवक प्रेजिक मिश्रा जो कि किराए पर बाइक देने का व्यापार करता था। करीब एक सप्ताह पहले उसने रविन्द्र प्रताप सिंह को बाइक किराए पर दी जिसके बाद रविन्द्र उस बाइक को दो दिन तक अपने पास रखकर चलाता रहा है और फिर उसने वही बाइक को घमापुर में रहने वाले आकाश कुकरेजा के पास गिरवी रख दी। प्रेजिक मिश्रा ने रविन्द्र प्रताप सिंह को जो बाइक किराए पर दी थी, वो बाइक जब प्रेजिक को नहीं मिली तो उसने जीपीएस के माध्यम से उसे तलाशा तो पाया कि वह बाइक घमापुर में है। मौके पर जब प्रेजिक मिश्रा पहुंचा तो देखा कि बाइक आकाश कुकरेजा के पास है। प्रेजिक ने आकाश से बाइक मांगी तो उसने बताया की रविन्द्र प्रताप सिंह ने उसके पास गिरवी रखी है।

बाइक मांगने पर प्रेजिक के तोड़ दिए पैर

प्रेजिक ने जब आकाश को ये बताया कि वह बाइक उसकी है और रविन्द्र को उसने किराए पर दी थी। यह सुनकर आकाश उससे विवाद करने लगा, कुछ देर बाद विवाद इतना बढ़ गया कि आकाश और उसके साथियों ने बेसबॉल से हमला कर उसके दोनों पैर तोड़ दिए। प्रेजिक आज ईलाज के लिए शहर के निजी अस्पताल में भर्ती है।

लार्डगंज थाने में पदस्थ ASI अरविंद प्रताप सिंह का बेटा है रविन्द्र

प्रेजिक की बाइक किराए पर लेकर आकाश कुकरेजा के पास गिरवी रखने वाला रविन्द्र प्रताप सिंह लार्डगंज थाने में पदस्थ ASI अरविंद प्रताप सिंह का बेटा है। यही वजह है कि प्रेजिक की शिकायत को पुलिस गंभीरता से नहीं ले रही है। बहरहाल प्रेजिक के परिवार वालो ने अब एसपी से मदद की गुहार लगाई है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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