महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में आई गिरावट,कोरोना रहा अपराध के कम होंने का कारण,

Gaurav Sharma
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CRIME AGAINST WOMEN DECLINE IN JABALPUR

जबलपुर,संदीप कुमार। मध्यप्रदेश के जबलपुर में 20 मार्च को कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लॉक डाउन लगाया गया,इस लॉक डाउन ने भले ही अर्थ व्यवस्था को कुछ हद तक प्रभावित किया हो पर इस लॉक डाउन से महिला अपराधों में भी काफी कमी आई है।बीते साल के मुकाबले इस साल महिला संबंधित अपराधों में गिरावट देखी गई है,कम अपराधों को लेकर पुलिस जहाँ चौकस रहने की बात कह रही है तो वही महिला समाजसेवी भी मान रही है कि कम अपराध की वजह लॉक डाउन में पुलिस की सतर्कता रही है।

बोलते आकड़े….

कोरोना काल में महिला संबंधी अपराधों में कमी आई है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गत वर्ष के मुकाबले दुष्कर्म, छेड़छाड़, अपहरण, दहेज हत्या की घटनाओं में काफी कमी आई है, हालांकि हत्या हत्या का प्रयास मारपीट की घटनाएं जरूर बड़ी है जनवरी से अगस्त 2019 और 2020 में महिलाओं पर घटित अपराधों की तुलना करें तो महिलाओं पर घटित अपराधों में करीब 15 फ़ीसदी की कमी आई है।

  • घटना                2019       2020

  •  हत्या                  09          09

  • हत्या का प्रयास       02          05

  • साधारण मारपीट      240     299

  • गंभीर मारपीट          07       13

  • छेड़छाड़                 234    199

  • अपहरण                297    193

  • दुष्कर्म                  127    126

  • आत्महत्या दुष्प्रेरण      17  16

  •  दहेज हत्या             18       10

  • घरेलू हिंसा             137     109

  • लूट                      15         02

जबलपुर एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा का महिला संबंधित अपराधों को लेकर कहना है कि कोरोना काल में ज्यादातर समय महिलाएं घर पर ही रही हैं इस वजह से महिला संबंधित अपराधों में गिरावट आई है,वहीं एसपी का यह भी कहना है कि अनावश्यक रूप से वर्तमान के परिवेश को देखते हुए ना निकलना भी महिला अपराध में आई कमी की एक वजह है।

इधर महिला समाज सेवी गीता शरद तिवारी का कहना है कि निश्चित रूप से कोरोना काल में महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में गिरावट आई है उसकी मुख्य वजह यह है कि लॉक डाउन के समय न हीं महिलाएं घर से बाहर निकल रही थी और ना ही अपराधी, यही कारण है कि महिलाओं से साथ होने वाली लूट, बलात्कार छेड़छाड़ की घटनाओं में काफी गिरावट आई है,हालांकि महिला समाजसेवी का यह भी कहना है कि घरेलू हिंसा की इस दौरान कुछ महिलाएं निश्चित रूप से शिकार हुई है।

बाहरहाल इन आंकड़ों को देखकर कहा जा सकता है कि कोरोना काल में महिलाओं संबंधित अपराधों में काफी हद तक गिरावट आई थी,काश अगर महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में इस तरह की गिरावट हमेशा ही रहे तो निश्चित रूप से महिलाएं अपने आप को घरों के बाहर भी सुरक्षित महसूस करेंगी।

 

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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