जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मंगलवार को जबलपुर में 11 वीं क्लास की छात्रा ने खुद को आग के हवाले कर दिया, आखिरकार उसे मजबूरी में ऐसा कदम उठाना ही पड़ा जो उसकी जिंदगी का आखरी कदम साबित हो सकता है, थक चुकी हार चुकी इस छात्रा ने शोहदों से तंग आकर अपनी जिंदगी को खत्म करने की कोशिश की, लेकिन शोहदों के तंग करने से ज्यादा दुखी इस बात से थी कि पुलिस ने भी उसकी नही सुनी और उसे थाने से चलता कर दिया, उस पुलिस के पास बड़े भरोसे के साथ यह छात्रा पहुंची थी कि उसकी परेशानी को पुलिस जरूर सुनेगी और दूर करेगी उन आवारा लड़को को पुलिस कानून का भय दिखाकर समझाएगी या फिर डंडे के जोर पर सबक सिखाएगी, लेकिन हुआ उल्टा, रांझी पुलिस ने इस छात्रा को ही उल्टे पैर घर लौटा दिया, छात्रा थाने में गिड़गिड़ाती रही कि बदमाशों ने उसे इतना त्रस्त कर दिया है कि वह घर से नही निकल पा रही है मगर रांझी पुलिस ने उसकी एक न सुनी, नतीजा की हताश छात्रा ने यह जानलेवा कदम उठा लिया।
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एक तरफ शहर की पुलिस दिनरात मुस्तैद रहने और अपराधियों से निपटने की बात कर रही है दूसरी तरफ पीड़ित इन अपराधियों से तंग आकर जान दे रहे है। पुलिस विभाग के शहर के मुखिया मीटिंग ले कर अपने अधीनस्थ अधिकारियों और पुलिस कर्मचारियों को निर्देश दे रहे है मगर निर्देश कितने कारगर साबित हो रहे है यह मामला एक उदाहरण है।
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समय रहते अगर रांझी पुलिस ने इस छात्रा के आवेदन पर कार्रवाई कर दी होती तो शायद आज वो मेडिकल अस्पताल में जिंदगी और मौत से न जूझ रही होती, करीबन 90 प्रतिशत जल चुकी इस छात्रा ने अपने सुसाइड नोट में साफ लिखा है कि किस तरह उसका जीना आरोपियों ने मुश्किल कर रखा है और रांझी पुलिस ने भी उसकी कोई सुनवाई नही की, शोहदों से त्रस्त इस छात्रा ने सुसाइड नोट में यह भी लिखा कि मैं यह कदम इसलिए उठा रही हूं कि मेरी बहनों की जिंदगी बर्बाद न हो, कितना मुश्किल वक़्त रहा होगा अभिलाषा के लिए की उसे लगा कि उसके जीते जी तो पुलिस ने उसकी सुनी नही शायद उसके इस कदम के बाद पुलिस कार्रवाई करे और उसकी बहने तो कम से कम शोहदों की हरकतों से बच जाए।
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इस घटना ने रांझी पुलिस सहित शहर के पुलिस अधिकारियों पर भी सवाल खड़े कर दिए है कि आखिर जब प्रदेश का मुखिया सी एम शिवराज सिंह चौहान अपनी भांजियों की सुरक्षा को लेकर इतने सजग है तो फिर जबलपुर की पुलिस इतनी लापरवाह क्यों, क्या घटना के बाद ही जबलपुर की पुलिस कार्रवाई करना जानती है। उससे पहले पीड़िता गुहार लगाती रही मगर अनसुना कर दिया गया, फिलहाल घटना के बाद रांझी पुरानी बस्ती में सनसनी का माहौल है। लोगो की जुबान पर एक ही सवाल है काश समय रहते पुलिस ने कार्रवाई कर दी होती तो अभिलाषा और उसके परिवार को यह दिन न देखना पड़ता। सवाल उठना लाजिमी है की अभिलाषा के इस जानलेवा कदम के जितना दोषी आरोपी है उतना ही दोषी राँझी थाने के वह पुलिसकर्मी भी है, जिन्होंने छात्रा की बात नहीं सुनी ।