जबलपुर/संदीप कुमार
मध्यप्रदेश की विधानसभा (vidhan sabha) में सदस्यों की संख्या से 15 फीसदी से ज्यादा मंत्री बनाए जाने को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दे दी गई है। प्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति (NP Prajapati) ने मामले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार (madhya pradesh government) के खिलाफ नोटिस (notice) जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सीएम शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) और प्रदेश के मुख्य सचिव के खिलाफ नोटिस जारी किया है और पूरे मामले पर जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत किसी भी राज्य में उसके विधायकों की संख्या से 15 फीसदी से ज्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते। याचिका में कहा गया है कि मध्यप्रदेश में 26 विधायकों के इस्तीफों के बाद विधानसभा सदस्यों की संख्या 204 रह गई है और इस लिहाज से मंत्रियों की संख्या 30 से ज्यादा नहीं हो सकती, लेकिन शिवराज कैबिनेट में 34 मंत्री बना दिए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि शिवराज सरकार ने विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या यानि 230 के हिसाब से 34 मंत्री बना दिए हैं जबकि 15 फीसदी मंत्रियों का पैमाना विधायकों की मौजूदा संख्या 204 से होना चाहिए। इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि वो ये स्पष्ट करें कि कैबिनेट में मंत्री, विधानसभा के सक्रिय सदस्यों की 15 फीसदी संख्या के हिसाब से बनाए जाएं या विधानसभा के कुल स्वीकृत संख्या के हिसाब से। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से पूरे मामले पर जवाब मांगा है, जिसके बाद याचिका पर अगली सुनवाई की जाएगी।