डिहाइड्रेशन का शिकार हुआ गोल्डन ईगल, बेहोश होकर जमीन पर गिरा, जागरूक व्यक्ति की वजह से बचे प्राण, खुले आसमान में छोड़ा

वन विभाग की टीम और सर्प विशेषण इलाज के लिए गोल्डन ईगल को वेटरनरी कॉलेज ले गए जहां पर उनका इलाज किया गया और फिर ठीक होने के बाद उसे खुले आसमान में जंगल में छोड़ दिया गया। वन्य प्राणी विशेषज्ञ गजेंद्र दुबे के मुताबिक यह गोल्डन ईगल संरक्षित पक्षी है।

Atul Saxena
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Golden Eagle

Jabalpur News : इंसान ने पर्यावरण को कितना प्रदूषित कर दिया है कि वो खुद इसका शिकार होकर बीमारियाँ झेल रहा है अब ख़राब होता वातावरण पशु पक्षियों को भी प्रभावित कर रहा है ताजा मामला जबलपुर में एक गोल्डन ईगल के बेहोश होकर असमान से नीचे गिरने का सामने आया है, बताया गया कि  गोल्डन ईगल डिहाइड्रेशन का शिकार हुआ था, प्राथमिक उपचार के बाद वो ठीक हो गया और फिर उसे खुले आसमान में छोड़ दिया गया

जबलपुर में आज एक गोल्डन ईगल (बाज) डिहाइड्रेशन का शिकार हो गया। स्थानीय लोगों की जानकारी के बाद वन्य प्राणी एवं सर्प विशेषज्ञ गजेंद्र दुबे मौके पर पहुंचे जहां उन्होंने गोल्डन ईगल को पानी पिलाने के बाद वन विभाग की टीम को सूचना दी। कुछ ही देर बाद रेस्क्यू स्कॉर्ट प्रभारी गुलाब सिंह परिहार अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और गोल्डन ईगल को वेटरनरी कॉलेज में प्राथमिक इलाज करवाने के बाद उसे प्राकृतिक रहवास में छोड़ दिया गया।

इलाज के बाद गोल्डन ईगल को जंगल में छोड़ा  

जानकारी के मुताबिक शास्त्री नगर परशुराम चौक के पास अधिवक्ता अजय तिवारी का एक छोटा सा बगीचा है आज जब वह अपने बगीचे में टहल रहे थे इस दौरान एक गोल्डन ईगल पेड़ से टकराते हुए जमीन पर आ गिरा। गोल्डन ईगल को देखते ही उन्होंने तुरंत सर्प एवं वन्य प्राणी विशेषज्ञ गजेंद्र दुबे को सूचना दी जिसके बाद मौके पर पहुंचे वन विभाग की टीम और सर्प विशेषण इलाज के लिए गोल्डन ईगल को वेटरनरी कॉलेज ले गए जहां पर उनका इलाज किया गया और फिर ठीक होने के बाद उसे खुले आसमान में जंगल में छोड़ दिया गया। वन्य प्राणी विशेषज्ञ गजेंद्र दुबे के मुताबिक यह गोल्डन ईगल संरक्षित पक्षी है।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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