Mon, Dec 29, 2025

जबलपुर में जादूटोने के शक में पोते ने की दादा की हत्या

Written by:Harpreet Kaur
Published:
जबलपुर में जादूटोने के शक में पोते ने की दादा की हत्या

जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। जबलपुर में जादू-टोने के शक में पोते ने ही दादा को मौत के घाट उतार दिया, पोते ने दादा पर बका से हमला किया, पोते को दादा पर शक था कि उसके जादू तोने की वजह से उसके भाईयों के घर में औलाद नहीं थी, मृतक आयुध निर्माण फैक्ट्री, खमरिया के रिटायर्डकर्मी था। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

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मामला जबलपुर के कटंगी रोड पर रईयाखेड़ा गांव का है। जहां पर रहने वाले 71 साल के नेतराम अहिरवार OFK फैक्ट्री से  2011 में रिटायर्ड हुए थे। वह घर पर ही रहकर खेती -किसानी का काम करते थे, 20 साल के आरोपी संदीप अहिरवार  ने मृतक बुजुर्ग पर जादू-टोने करने का आरोप लगाया। आरोपी का कहना है, उसके दो भाइयों की कोई औलाद नहीं हो रही है। ऐसा दादा के किए जादू-टोने के चलते हो रहा था। इसलिए उसने दादा को मार दिया। घटना के बाद आरोपी घर पहुंचा और दादा की हत्या की बात खुद घरवालों को बताई।

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घटना के संबंध में परिजनों ने बताया कि खेतों में गेहूं कटाई जारी थी, ऐसे में कटी फसल की रखवाली के लिए  पिता नेतराम अहिरवार, चचेरा पोता संदीप सहित गांव के दो तीन और लोग खेत में रखवाली करने गए थे। इसी दौरान सोमवार देर रात लगभग 11.30 बजे संदीप ने ही मृतक के बेटे को सूचना दी कि खलिहान में बाबा लहूलुहान पड़े है, परिजन खेत की तरफ दौड़े, जैसे ही उन्होंने खेत का नजारा देखा तो हैरान रह गए, मौके पर पिता लहूलुहान पड़े थे। हालांकि परिजनों के मौके पर पहुँचने तक नेतराम की साँसे चल रही थी और उसने बताया कि पोते संदीप ने उसे मारा है, बेटे पिता नेतराम को शहर के निजी अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। संदीप सूचना देने के बाद से फरार था। जिसके बाद मंगलवार को उसे शारदा विहार में बुआ के घर से दबोच लिया गया। पुलिस पूछताछ में उसने हत्या करना स्वीकार किया। उसने बताया कि, वह तीन भाई हैं। बड़े भाई की शादी 8 साल पहले और मझले भाई की शादी 4 साल पहले हुई थी। पर दोनों को कोई औलाद नहीं है। उसे लगता है कि ऐसा दादा नेतराम के जादू-टोने के चलते हो रहा था। उसके मझले भाई तुलसी की तबियत खराब हुई थी। संदीप को लगता था कि भाई पर साया है। तभी उसने नेतराम को मारने का सोच लिया था और बीती रात जब खेत पर वह दोनों अकेले थे तो उसने दादा को मौत के घाट उतार दिया। लेकिन मरते-मरते नेतराम ने उसका नाम बता दिया।