संदीप कुमार/जबलपुर। रीवा मऊगंज से पन्ना अजाक में स्थानांतरण को चुनौती देने वाले डीएसपी को मप्र उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिल पाई। जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने अपने आदेश में लैटिन शब्द मूटाटीस मूटांडिस का उपयोग करते हुए स्थानांतरण को यथोचित ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट डी के त्रिपाठी ने पैरवी की जबकि शासन की ओर से एडवोकेट मनीष वर्मा ने पैरवी की।
यह है मामला
याचिकाकर्ता संतोष कुमार निगम ने इस याचिका में अपनी पोस्टिंग और स्थानांतरण को चुनौती दी। जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता को डीएसपी रीवा, मऊगंज से डीएसपी अजाक, पन्ना स्थानांतरित किया गया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को दो वर्ष का कार्यकाल पूरा किये बगैर महज डेढ़ साल के अधूरे कार्यकाल में ही स्थानांतरित कर दिया गया।
१५ साल से रीवा में ही जमे थे
शासन की आरे से अधिवक्ता मनीष वर्मा ने याचिकाकर्ता की ओर से प्रेषित न्यायदृष्टांत का जवाब देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता १५ वर्षों से ज्यादा अवधि से रीवा में ही थे। पूर्व में उन्हें पीटीएस रीवा से डीएसपी मऊगंज स्थानांतरित किया गया। श्री वर्मा ने कहा कि स्थानांतरण आदेश को चुनौती नहीं दी जाती यदि स्थानांतरण दूसरे जिले में न होकर उसी जिले में होता। उन्होंने न्यायालय को यह भी बताया कि ५ फरवरी को याचिकाकर्ता के स्थान पर रीलीवर ने पदभार ग्रहण कर लिया है। एकलपीठ ने अपने आदेश में लैटिन वर्ड मूटाटीस मूटांडिस शब्द का उपयोग करते हुए कहा कि स्थानांतरण आदेश को यथोचित बताते हुए याचिका खारिज कर दी।