जबलपुर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने अंतरिम आदेश के जरिए आंगनबाड़ी सहायिकाओं से बीपीएल सर्वे कराने पर रोक लगा दी। इसी के साथ राज्य शासन, सचिव महिला बाल विकास, आयुक्त महिला बाल विकास व कलेक्टर जबलपुर को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया गया।
याचिकाकर्ता आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका एकता यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष भोपाल निवासी विद्या खंगार की ओर से अधिवक्ता राजेश चंद ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं का काम पहले से ही अत्यंत परिश्रम वाला है। इसके बावजूद उन पर बीपीएल सर्वे का अतिरिक्त बोझ डालना अस्वाभाविक है। इससे उनका मूल कार्य प्रभावित होगा। लिहाजा, राज्य शासन को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। हाई कोर्ट आने से पूर्व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से आईसीडीएस संबंधित कार्य के अतिरिक्त अन्य कार्य न कराए जाने के संबंध में संचालनालय एकीकृत बाल विकास विभाग को पत्र भेजा गया था। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दंपति सर्वे, अंत्योदय सर्वे, स्वच्छता दूत, शौचालयों की गिनती, आयोडीन नमक की जांच, गांव में कुओं की गिनती, दवा छिड़काव, जनगणना कार्य, चुनाव ड्यूटी, चुनाव नामावली का कार्य और पशु सर्वे के अलावा अब बीपीएल सर्वे जैसे अतिरिक्त कार्य का बोझ डालकर परेशान करना सर्वथा अनुचित है।