जबलपुर : समय पर मिल जाती एयर एंबुलेंस तो बच जाती युवक की जान

Amit Sengar
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जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर (Jabalpur) महानगर में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति क्या है और यहाँ के अस्पतालों में कितनी आधुनिकता है यह आज समझ आ गया क्योंकि एक युवक की जान बचाने के लिए उसके परिजन बड़े बड़े अस्प्ताल घूमते रहे पर शहर मे विकास का दम भरने वाले नेता और अधिकारियों के मुँह पर तमाचा पड़ा है,शर्मिंदगी महसूस हो रही है कि महानगर में एक एयरएंबुलेंस तक नहीं है और न ही अच्छा अस्प्ताल जो कि किसी की जान बचा सके,रांझी में रहने वाले अमनप्रीत सिंह सोमवार की सुबह बाइक में बैंक ड्यूटी करने जा रहे थे रास्ते में अचानक ही कोई नुकेली वस्तु उसकी एक आंख के आरपार हो गई,जिसके बाद क्षेत्रीय लोग और परिजन इलाज के लिए जबलपुर अस्पताल ले गए जहां डाॅक्टरों ने मामला गंभीर होने के कारण मरीज को दिल्ली ले जाने की सलाह दी।

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एयर एम्बुलेंस की व्यबस्था की गई
डाॅक्टरों की सलाह पर घायल युवक के परिजनों ने दिल्ली जाने के लिए पैसों की व्यवस्था की और एक एयरएंबुलेंस व्यवस्था शुरू की लेकिन शहर में यह व्यवस्था नहीं होने से दिल्ली से एयरएंबुलेंस बुक की गई,किसी कारणवश एयर एंबुलेंस अगले दिन आई, एंबुलेंस से युवक को दिल्ली ले जाया जा रहा था कि रास्ते में ही अमनप्रीत ने दम तोड़ दिया।

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जबलपुर : समय पर मिल जाती एयर एंबुलेंस तो बच जाती युवक की जान

आखिर क्यो जरूरत पड़ती है दिल्ली-नागपुर जाने की
जबलपुर शहर में दर्जनों ऐसे बड़े अस्पताल हैं जहां पर की दावा किया जाता है कि हर बड़े से बड़े इलाज को यहां पर किया जा सकता है पर इन अस्पतालों के दावे आज खुल गए कि शहर का कोई भी अस्पताल अमनप्रीत की जान नहीं बचा सका इधर जबलपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था पर राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं विवेक तंखा ने ट्वीट कर कहा कि कि दुर्भाग्य है कि जबलपुर में ऐसी चिकित्सा व्यवस्था नही है जिसमें गंभीर बीमारियों का इलाज हो सके, स्वास्थ्य व्यवस्था लचर होने के कारण दिल्ली-नागपुर जाना पड़ता है। यह नाकामी है कि आज भी जबलपुर में चिकित्सा व्यवस्था बेहतर नहीं है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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