हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को दिया नोटिस, ये है कारण

Atul Saxena
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MP High Court News : मप्र हाई कोर्ट की मुख्य बेंच ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, कटनी जिले के कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMHO) को फटकार लगाते हुए नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने एक सिविल अस्पताल में नौ साल से बंद पड़ी सोनोग्राफी (अल्ट्रा साउंड) मशीन को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है और दो सप्ताह में जवाब मांगा है।

2013 में आई और उसी साल खरब हो गई मशीन

आपको बता दें कि कटनी के कैमूर निवासी अधिवक्ता ब्रम्हमूर्ति तिवारी की ओर से जनहित याचिका दायर कर हाई कोर्ट को बताया गया कि सिविल अस्पताल विजयराघवगढ़ में दूरदराज से ग्रामीण महिलाएं इलाज करवाने आती हैं, वहां  सोनोग्राफी मशीन नहीं थी। लंबे प्रयास के बाद आखिरकार 2013 में यह मशीन आई और आने के बाद ही खराब हो गई। राज्य सरकार की ओर से उसमें सुधार कार्य भी नहीं कराया गया।

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निजी अल्ट्रा साउंड सेंटर को फायदा पहुँचाने का आरोप

मशीन ख़राब होने से सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को होने लगी उन्हें जांच के लिए 35 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को यह भी बताया कि निजी सेंटर को फायदा पहुंचाने के लिए सोनोग्राफी मशीन नहीं सुधरवाई गई।

35 किलोमीटर दूर जाती हैं गर्भवती महिलाएं

आंकड़ा देते हुए एडवोकेट ब्रह्ममूर्ति तिवारी ने हाई कोर्ट में बताया कि सिविल अस्पताल विजयराघवगढ़, कटनी में 2015 से 2022 के बीच 20 हजार से अधिक महिलाओं का प्रसव हुआ। एक बार प्रसव की प्रक्रिया में तीन से चार बार सोनोग्राफी करानी होती है, जिसके लिए गर्भवती महिलाओं को 35 किलोमीटर दूर जाने के लिए विवश होना पड़ता है।

कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार

याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को फटकार लगाते हुए पूछा कि आखिर क्यों 9 साल से सिविल अस्पताल की सोनोग्राफी मशीन बंद है। कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, कटनी जिले के कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMHO) को नोटिस जारी करते हुए 2 सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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