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Thu, Dec 18, 2025

MPPSC मुख्य परीक्षा 2025 मामले में हाई कोर्ट ने जिम्मेदार अधिकारी को किया तलब, सरकार से भी मांगा जवाब

Written by:Atul Saxena
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एमपी हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए MPPSC 2025 परीक्षा पर लगाई रोक बरकरार रखी है और अगली सुनवाई पर MPPSC के जिम्मेदार अधिकारी को तलब किया है ।
MPPSC मुख्य परीक्षा 2025 मामले में हाई कोर्ट ने जिम्मेदार अधिकारी को किया तलब, सरकार से भी मांगा जवाब

MPPSC Main Exam 2025 Case: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच में आज MPPSC मुख्य परीक्षा 2025 मामले में फिर से सुनवाई हुई। कोर्ट ने आरक्षित वर्ग के मैरिटोरियस छात्रों को अनारक्षित वर्ग में ना चुनने को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को अगली सुनवाई पर हाजिर होने के निर्देश दिए है। हाई कोर्ट ने यह कहते हुए राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है कोर्ट ने कहा यदि दो सप्ताह में जानकारी उपलब्ध नहीं होती है तो सरकार पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।

याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि परीक्षा से संबंधित सील बंद लिफाफे में गोपनीयता वाले कोई भी दस्तावेज नहीं है, लिहाजा इसे सरकार सार्वजनिक करे। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एमपीपीएससी 2025 परीक्षा पर लगाई रोक बरकरार रखी । मामले पर अगली सुनवाई अब 6 मई को तय की गई है।

हाई कोर्ट में दूसरी बार हुई सुनवाई 

मंगलवार को एमपीपीएससी 2025 की मुख्य परीक्षा से जुड़े प्रकरण में मंगलवार को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत एवं जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने दूसरी बार सुनवाई की। पिछली सुनवाई में डिवीजन बेंच ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा-2025 की मुख्य परीक्षा के आयोजन पर अंतरिम रोक लगा दी थी, इसके साथ ही यह भी साफ कर दिया था कि अब कोर्ट की अनुमति के बिना मुख्य परीक्षा का आयोजन नहीं किया जा सकेगा, इसके साथ ही मप्र लोक सेवा आयोग को निर्देश दिए गए थे कि प्रारंभिक परीक्षा के वर्गवार कट-ऑफ मार्क्स जारी करे। हाईकोर्ट ने मप्र लोक सेवा आयोग को यह भी स्पष्ट करने कहा था कि आरक्षित वर्ग के कितने प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में चयनित किया गया है। इसके लिए दो सप्ताह की मोहलत देते हुए अगली सुनवाई आज 15 अप्रैल को नियत की थी।

MPPSC ने प्रारंभिक परीक्षा में कट-आफ मार्क्स भी जारी नहीं किए

याचिकाकर्ता सुनीत यादव और अन्य की और से सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखते हुए दलील दी कि मप्र लोक सेवा आयोग ने कुल 158 पदों की भर्ती के लिए पांच मार्च 2025 को प्रारंभिक परीक्षा परिणाम घोषित किया था। इसमें वर्गवार कट-ऑफ अंक जारी नहीं किए गए, जबकि पूर्व की सभी परीक्षाओं में वर्गवार कट-ऑफ अंक जारी किया जाता रहा है। सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट के विभिन्न फसलों को बायपास करते हुए आयोग अनारक्षित पदों के विरुद्ध आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए चयनित नहीं कर रहा है। सभी अनारक्षित पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित करके प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट घोषित किया गया है। मप्र लोक सेवा आयोग ने इस गलती को छुपाने के लिए 2025 के प्रारंभिक परीक्षा में कट-आफ मार्क्स भी जारी नहीं किए।

6 मई को होगी अगली सुनवाई 

हाईकोर्ट के आदेश के पालन पर आज 15 अप्रैल 2025 क़ो बंद लिफाफे में कट ऑफ मार्क्स जारी किए गए थे। कोर्ट ने लिफाफा खोलने पर यह पाया कि इसमें गोपनीय रखने जैसा कोई भी दस्तावेज नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इसे सार्वजनिक किया जाए, और एक-एक कॉपी याचिकाकर्ताओ के वकील क़ो आज ही  प्रदान करने का आदेश दिए। राज्य शासन को याचिका से संबंधित मामले का जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है, नहीं तो जवाब दाखिल ना करने पर 15 हजार के जुर्माने के साथ जवाब देने कहा है। मामले की अगली सुनवाई अब 06 मई 2025 को नियत की गई।  याचिका में पीएससी के अधिवक्ता ने विरोधाभास किया, जिस पर कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिए है, कि मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारी, अगली सुनवाई पर कोर्ट में हाजिर रहे। आयोग को यह भी निर्देशित किया गया है, कि अगली सुनवाई पर प्रॉपर तरीके से  जवाब दाखिल करे।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट