Naxal Encounter Mandla : मंडला जिले में हुए कथित नक्सली एनकाउंटर को लेकर सियासी घमासान जारी है। अब बालाघाट के पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने मृतक के परिजनों से मुलाकात की और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने इसे फर्जी एनकाउंटर बताया और इसे पुलिस की साज़िश करार दिया। उन्होंने मांग की कि इस मामले में शामिल सभी पुलिस अधिकारियों और अन्य संबंधित लोगों की गिरफ्तारी हो। इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि वे इस तरह के सभी इन मामलों में वो सुप्रीम कोर्ट तक जाकर कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।
इस मामले में मध्यप्रदेश विधानसभा में भी ज़ोरदार हंगामा हुआ। कांग्रेस ने इसे फर्जी एनकाउंटर बताते हुए सरकार पर आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार का आरोप लगाया और न्यायिक जांच की मांग की। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मृतक की पत्नी बिसरो बाई परते को दस लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने घटना की न्यायिक जांच के आदेशदिए गए हैं। सरकार ने कहा है कि यदि जांच में हीरन बैगा का नक्सली कनेक्शन साबित नहीं हुआ तो परिवार को 1 करोड़ रुपये सहायता राशि और सरकारी नौकरी दी जाएगी।

क्या है मामला
मंडला जिले के कान्हा राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के पास खटिया इलाके में 9 मार्च को एक कथित मुठभेड़ में हीरन सिंह बैगा नामक बैगा आदिवासी की मौत हो गई। पुलिस और हॉक फोर्स ने दावा किया कि यह मुठभेड़ नक्सली गतिविधियों की खुफिया जानकारी के आधार पर हुई, जिसमें हीरन को नक्सली बताया गया। वहीं, हीरन के परिजनों और स्थानीय समुदाय ने इसे फर्जी एनकाउंटर करार दिया है।उनका कहना है कि वह एक निर्दोष मजदूर था न कि नक्सली। घटना के बाद कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
कंकर मुंजारे ने सरकार को घेरा, कहा ‘सुप्रीम कोर्ट जाएंगे’
इस मामले पर अब बालाघाट के पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने भी सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि ‘पुलिसकर्मियों ने यह फर्जी एनकाउंटर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन और सरकारी फायदों के लिए किया। हीरेन परते एक गरीब आदिवासी था, जिसके कंधों पर पांच बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता की जिम्मेदारी थी। वह जंगल में छींद बीनने गया था, लेकिन उसे नक्सली बताकर मार दिया गया।’ मुंजारे ने सवाल उठाया कि अगर हीरेन नक्सली था तो उसके गांव से सिर्फ दो किलोमीटर दूर खटिया पुलिस थाने को इसकी पहले से जानकारी क्यों नहीं थी। कंकर मुंजारे ने कहा कि साल 2018 के बाद से अब तक मध्यप्रदेश में आदिवासियों को नक्सली बताकर 25 फर्जी एनकाउंटर किए गए हैं और वे इन मामलों को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाकर कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।
जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट