जबलपुर। संदीप कुमार।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जबलपुर से पुराना नाता रहा है।आजादी की लड़ाई के दौरान नेताजी सुभाषचंद्र जबलपुर की केंद्रीय जेल में सजा काटी थी। यही वजह है है कि भारत की आजादी के बाद इस जेल का नाम केंद्रीय जेल नेताजी सुभाषचंद्र बोस रखा गया।इस जेल में आज भी नेताजी की बहुत सी यादे संभाल कर रखी गई है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। उनका जबलपुर शहर से बहुत ही गहरा नाता रहा है।नेताजी ने जबलपुर आगमन के बाद न सिर्फ लोगों के अंदर नई ऊर्जा का संचार किया था बल्कि इतिहास ही बदल दिया था। 1939 में कांग्रेस के अधिवेशन में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर कांग्रेस का अध्यक्ष चुने जाने के बाद नेताजी ने स्वराज की आवाज जबलपुर से ही बुलंद की थी। जबलपुर जेल का निर्माण 1874 में किया गया था।नेताजी सुभाष चंद्र बोस दो बार इस जेल में बंद रहे हैं इस दौरान उनके साथ उनके भाई शरद चंद्र बोस भी जेल में थे।सुभाष चंद्र बोस 30 मई 1932 को जबलपुर आए और 16 जुलाई 1932 को मद्रास भेजे गए। दूसरी बार 18 फरवरी 1933 को उन्हें दुबारा जबलपुर जेल लाया गया।आज भी जेल में नेताजी की हथकड़ी,उनके आराम करने का स्थान संजो कर रखा गया है।आज नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर कंट्रोल रूम का उद्घाटन भी किया जाना है जिसमे मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ए.के मित्तल शामिल होंगे।
नेताजी जयंती: जेल में आज होगा कंट्रोल रूम का शुभारंभ, चीफ जस्टिस मित्तल होंगे शामिल
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