निजी स्कूलों को आदेश- स्कूल फीस ली तो रद्द होगी मान्यता

Pooja Khodani
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जबलपुर, संदीप कुमार। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के द्वारा सभी निजी स्कूलों (Private schools) के प्रबंधन, प्राचार्यो को आदेश जारी किया गया है, जिसमें सीबीएसई, आईसीएसी स्कूल सहित अन्य स्कूल शामिल हैं। जिनको स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगर उनके द्वारा लॉक डाउन (Lockdown) की अवधि के दौरान स्कूल के विद्यार्थियों से फीस (School Fees ) की वसूली की जाती है तो उनके विरुद्ध शिकायत प्राप्त होने पर ऐसी स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। जिसको लेकर शिक्षा अधिकारी के द्वारा एक आदेश समस्त स्कूलों को जारी किया गया है।

इस संबंध में अभिभावक कल्याण संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष हेमन्त पटेल ने बताया कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और उनके द्वारा निरंतर स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है और तमाम अभिभावको व बच्चों के न्याय हित की बात करते हुए कार्य किया जा रहा है, जिसको लेकर उन्होंने कलेक्टर व शिक्षा अधिकारी को न्यायालय का हवाला देते हुए लॉक डाउन की अवधि में स्कूल के विद्यार्थियों से फीस की वसूली न हो इस संबंध का पत्र देकर शिकायत की थी। जिसके बाद कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा ऐसे तमाम स्कूलों को आदेश जारी करके यह स्पष्ट कहा गया है कि कोई भी स्कूल लॉक डाउन की अवधि में किसी भी प्रकार से फीस की वसूली न करें, अन्यथा शिकायत प्राप्त होने पर सख्ती के साथ कार्यवाही की जाएगी।

यह है आदेश, जिसका करना होगा पालन
म.प्र.शासन स्कूल शिक्षा विभाग (School Education Department) के शासनादेश में उच्च न्यायालय का हवाला देते हुए केवल ट्यूशन फीस लेने के निर्देश दिये गये हैं तथा उसका पालन किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं कि कुछ स्कूलों द्वारा टयूशन फीस न लेकर पूरी फीस ली जा रही है तथा उच्च न्यायालय एवं म.प्र.शासन के आदेशों की अवहेलना की जा रही है। साथ ही कक्षा 9वीं से 12वीं के छात्रों से रजिस्ट्रेशन के नाम पर अप्रैल से सितम्बर तक पूरी फीस जमा करने के बाद ही रजिस्ट्रेशन किया जायेगा तथा पूरी फीस जमा नहीं करने पर रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा रहा है तथा विद्यार्थियों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है संबंधी शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। अत: शासनादेश व उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये अंतरिम आदेशों का पालन किया जाना सुनिश्चित करें अन्यथा की स्थिति में ऐसे स्कूल व विद्यालय की मान्यता समाप्ति की कार्यवाही की जावेगी जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व आपका होगा ।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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