MP News: शहरों में घूमने वाले बेसहारा मानसिक दिव्यांग जनों के लिए एक अच्छी खबर है। मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से एक नई पहल की शुरूआत की गई है। जिसमें अपना नाम-पता भूल चुके मानसिक दिव्यांग जनों को प्राधिकरण की तरफ से आधार कार्ड बनाकर नाम दिया जाएगा। जिसके लिए राज्य प्राधिकरण की तरफ से सारी तैयारी पूरी कर ली गई है।
हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने लिया था जायजा
दरअसल. इस पहल को शुरू करने का निर्देश मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश विवेक अग्रवाल ने दी थी। जब वो 6 महीने पहले जबलपुर स्थित मोक्ष संस्था गए थे। इस दौरान उन्होंने मानसिक दिव्यांग जनों का जायजा लिया था। उसी वक्त न्यायाधीश विवेक अग्रवाल ने मानसिक दिव्यांग जनों की पहचान के लिए उनके आधार कार्ड बनाने का निर्देश दिया था।
सरकारी सुविधाओं का मिलेगा लाभ
मानसिक दिव्यांग जनों के नाम देने की तैयारी देने में सबसे पहले इन लोगों का शपथ-पत्र तैयार किया जाएगा। इस पहल को लेकर जिला ई-गर्वनेंस प्रभारी ने जानकारी दी कि मानसिक दिव्यांग जनों का सबसे पहले लोकल गार्जन के रूप में संबंधित संस्था द्वारा शपथ-पत्र तैयार किया जाएगा। जिसके बाद वोटर आईडी, आधार कार्ड बनाया जाएगा। वहीं इसके बाद आयुष्मान कार्ड के अलावा समग्र आईडी बनाई जाएगी। वहीं आयुष्मान कार्ड बन जाने से इन लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का लाभ मिलेगा।
जबलपुर से होगी पहल की शुरूआत
मानसिक दिव्यांग जनों को नाम दिलाने की शुरूआत जबलपुर की मोक्ष संस्था से होगी। इस दौरान 12 से ज्यादा मानसिक दिव्यांगों के आधार कार्ड बनाने से पहल की शुरूआत होगी। आपको बता दें इस संस्था में रहने वाले दिव्यांग जनों की सूची बना ली गई है। जहां पहले चरण में दिव्यांग जनों को शामिल किया गया है तो दूसरे चरण में मानसिक दिव्यांग जनों को शामिल किया गया है। वहीं इन लोगों का आधार कॉर्ड और अन्य जरूरी कॉर्ड बन जानें से केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की योजनाओं को लाभ मिलने लगेगा।