जबलपुर की शाहपुरा तहसीलदार और ग्रामीणों के बीच बहस का वीडियो वायरल, राशन कार्ड का था मामला

शाहपुरा तहसील में तहसीलदार और ग्रामीणों के बीच बहस का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। जहां ग्रामीण राशन कार्ड को लेकर तहसीलदार के पास गए थे। हालांकि ग्रामीणों को बिना काम के वापस लौटना पड़ा।

Jabalpur

Jabalpur News: मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां शाहपुरा तहसील में पदस्थ तहसीलदार का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। जिसमें वह ग्रामीणों के साथ बहस करते हुए नजर आ रहा है। दरअसल, सरपंच के कहने पर खेड़ी गांव के ग्रामीण राशन कार्ड बनवाने के लिए तहसीदार के पहुंचे थे। वहीं जबलपुर की शाहपुरा तहसील में भी दो दिन पहले 10 किलोमीटर दूर खेड़ी गांव से कुछ ग्रामीण तहसील आफिस पहुंचे थे।

ये है पूरा मामला

आपको बता दें जबलपुर की शाहपुरा तहसील में दो दिन पहले गांव के कई आदिवासी ग्रामीणों का गरीबी रेखा के सर्वे में सही पाए गए और उनका नाम गरीबी रेखा की सूची में आ गया। लेकिन इन्हें अभी तक राशन नहीं मिल रहा है। वहीं तहसीलदार को पात्रता पर्ची बनानी थी। जिसके बाद ग्रामीणों ने तहसीलदार से कहा कि पात्रता पर्ची क्यों नहीं बना रहे हैं, जिस पर तहसीलदार कल्याण सिंह ने कहा कि हम नहीं बनाएंगे आपको जो करना है वह कर लो। जिसका पीड़ित ग्रामीणों ने एक वीडियो भी बनाया जो कि वायरल हो रहा है। वीडियो में शाहपुरा तहसीलदार से ग्रामीण बोल रहे है कि तीन दिन हो गए है चक्कर काटते हुए जिस पर तहसीलदार ने कहा कि तुम्हें बुलाया किसने। वहीं ग्रामीणों ने कहा कि सरपंच ने बुलाया था, जिसको लेकर तहसीलदार ने कहा कि सरपंच के पास जाओ। जिसके बाद ग्रामीण ने कहा कि साइन तो आपको करना है  जिस पर तसीलदार कल्याण सिंह ने कहा कि हम नहीं करेगें साइन। बता दें तहसीलदार और ग्रामीणों के बीच करीब 15 मिनट तक बात होती रही। फिर भी बिना काम के ही ग्रामीण वापस लौट आए।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट


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Shashank Baranwal

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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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