सिहोरा को जिला बनाने की मांग के साथ हुए बंद का व्यापक असर, दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान, स्कूल कॉलेज सब बंद रहे

Widespread effect of bandh in Sihora : सिहोरा को जिला बनाने के समर्थन में हुए बंद के आह्वान का बुधवार को भी पूरे सिहोरा खितौला में खासा असर देखा गया। यहां के व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों को पूरी तरह बंद रखा। हालत ये रही कि छोटी छोटी चाय, पान और सब्जी की दुकानें भी बंद रही। बंद का समर्थन करने के लिए ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने सिहोरा के अंदर अपने बसों को प्रवेश नहीं कराया। वाहनों का आवागमन सिहोरा के दोनों ओर बाईपास से होता रहा और दोपहर तक अधिवक्ता संघ ने बार काउंसिल की बैठक की और पूर्ण समर्थन की घोषणा भी कर दी।

बंद का खासा असर

लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति ने सुबह से ही पूरे नगर का दौरा कर एक बार फिर जनता से अपने प्रतिष्ठानों को बंद करने का आग्रह किया। सिहोरा जिला की मांग करने वाले प्रत्येक व्यापारी और लोगों ने अपने प्रतिष्ठानों को शत प्रतिशत बंद रखा। वहीं स्कूल और कॉलेजों ने भी छुट्टी की घोषणा कर दी। सिहोरा मंडी के व्यापारियों ने भी समर्थन में पूरी अनाज मंडी बंद कर दी।

बुधवार को दूसरे दिन के बंद के बाद शाम को शहर के सभी व्यापारियों,समाज के सदस्यों और आमजनों ने धरना स्थल पुराना बस स्टैंड में एक बार फिर बैठक की। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि पूर्वघोषित अनिश्चितकालीन बंद के स्थान पर अब दो दिन का बंद रखा जाएगा।आगामी रणनीति आज दूसरे दिन के बंद के बाद जारी की जाएगी।

सिहोरा का इतिहास

सबसे पहले 21 अक्तूबर 2001 में सिहोरा को जिला घोषित किया गया था। इसके बाद 11 जुलाई 2003 को सिहोरा जिला की चतुर्सीमा के निर्धारण करने का मप्र की सरकार का राजपत्र जारी हुआ। एक अक्टूबर 2003 को मप्र की सरकार की कैबिनेट में मंजूरी मिल गई। इसके बाद 5 जून 2004 को भाजपा की मुख्यमंत्री उमा भारती ने सिहोरा जिला की पुनः घोषणा करते हुए नवंबर 2004 से लागू होने की घोषणा की।पूरी विभागीय प्रक्रिया पूर्ण हो जाने के बाद भी पिछले 20 वर्षो से सिहोरा जिला नही बन सका है।

सिहोरा को जिला बनाने की मांग के साथ हुए बंद का व्यापक असर, दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान, स्कूल कॉलेज सब बंद रहे


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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