झाबुआ।
बहुचर्चित पेटलावद ब्लास्ट कांड में झाबुआ के विशेष अपर सत्र न्यायालय ने सबूत के अभाव में सातों आरोपियों को बरी कर दिया है।कोर्ट में पेटलावद विस्फोट कांड से जुडे़ तीन प्रकरणों को लेकर यह फैसला सुनाया गया। इन पर तीन अलग-अलग प्रकरण दर्ज हुए थे। ब्लास्ट का मुख्य प्रकरण अब भी झाबुआ न्यायालय में ही विचाराधीन है। इसमें राजेंद्र कांसवा और धर्मेंद्र राठौर आरोपित थे। राजेंद्र कांसवा की मौत हो जाने से अब एक आरोपित ही बचा है। इनमें से 6 मुख्य आरोपी राजेन्द्र कासवा के परिजन हैं। कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस और पीड़ित लोगों ने भी नाराजगी जताई है और सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। वही कोर्ट के फैसले को लेकर भी सवाल उठ रहे है कि आखिर किस आधार पर कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। जबकि इन लोगों द्वारा ब्लॉस्ट का सामान जमा किया गया था।
दरअसल, शुक्रवार विशेष अपर सत्र न्यायाधीश यशवंत परमार, झाबुआ ने शुक्रवार को मामले से जुड़े तीन प्रकरणों में यह फैसला सुनाया है। उन्होंने धर्मेंंद्र पिता रामसिंह राठौड़ निवासी गेहंडी, नरेंद्र पिता शांतिलाल कासवा, फूलचंद्र पिता शांतिलाला कासवा, नितेश नरेंद्र कासवा, हंसादेवी पति फूलचंद्र कासवा, साधना पति नरेंद्र कासवा तथा प्रीतिबाला पति राहुल कासवा निवासी महावीर कॉलोनी पेटलावद को दोष मुक्त करते हुए प्रकरण समाप्त करने का निर्णय पारित किया। बरी आरोपियों में से छह लोग मुख्य आरोपी राजेंद्र कांसवा के परिवार के हैं। इनमे नरेंद्र कासवा, फूलचंद कासवा, साधना, हंसा व तीन अन्य शामिल है। हालांकि पेटलावद ब्लास्ट के मुख्य मामले की सुनवाई अभी जारी है।
कोर्ट के फैसले से पीड़ितों में आक्रोश
वही ब्लॉस्ट कांड के मुख्य आरोपी के परिजनों को न्यायालय द्वारा बरी करने पर कई लोगों ने निराशा जताई व रोष व्यक्त किया है। लोगों का कहना है कि जहां 78 से अधिक जानें इस ब्लॉस्ट में गई है, वहां पर इस प्रकार का फैसला निराशाजनक है। ब्लास्ट मारे गए सुनील परमार की पत्नी रामकन्या परमार ने कहा कि शासन एवं पुलिस की मिलीभगत के कारण न्यायालय में जो चीज प्रस्तुत होना थी वह ना होकर दूसरी तरीके से उसको पेश किया। मैं इस फैसले से नाराज हूं। यदि अगर जरूरत पड़ी तो मैं सुप्रीम कोर्ट तक भी जाऊंगी। ब्लास्ट में मृतक निर्मल राठौर की पत्नी सरिता राठौर ने बताया कि कोर्ट ने फैसला गलत दिया है। इस फैसले के कारण ब्लास्ट पीडि़त के सब परिवार नाखुश है।
बीजेपी सहमत, कांग्रेस नाराज
कोर्ट के इस फैसले पर कांग्रेस ने भी नाराजगी जताई है। कांग्रेस का कहना है कि पेटलावद हृदय विदारक घटना थी। इस घटना में तत्कालीन सरकार की भी अनियमितता सामने आई थी, क्योंकि एक घर में इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक कैसे रखा जा सकता है। इस मामले में मुख्य आरोपी के बीजेपी से जुड़ा था, इसलिए उस वक्त कार्रवाई में ढिलाई बरती गई। निर्णय की कॉपी आने के बाद उसका अवलोकन कर विचार किया जाएगा, साथ ही कानून के जानकारों से राय भी ली जाएगी। वही बीजेपी वहीं बीजेपी का कहना है कि विशेष सत्र न्यायालय के फैसले पर प्रश्नचिन्ह उठाना ठीक नहीं है। न्यायालय के निर्णय के मामले में कांग्रेस का अलग ही रवैया देखने को मिलता है।अगर उनके पक्ष में निर्णय आया तो ठीक और नहीं आया तो वह न्यायालय के निर्णय पर सवाल उठाने लगते हैं। न्यायालय के निर्णय के बाद यदि कोई अपील करता है तो कानूनी रास्ते खुले हुए हैं।
गौरतलब है कि पेटलावद के सेठिया होटल के पास बने मकान में 12 सितबंर 2015 की सुबह विस्फोट हुए थे, जिसमें 79 लोगों की मौत हो गई थी। यह विस्फोट मकान में रखे जिलेटिन और डेटोनेटर में हुआ था।राजेंद्र कांसवा का विस्फोटक का व्यापार था। किसी ने इसकी सूचना कांसवा को दी। उसका नौकर बाइक से लेने पहुंचा। दोनों दुकान पर पहुंचे। तब तक धुआं तेजी से निकलने लगा। राजेंद्र कांसवा, नौकर और मकान मालिक सहित अन्य लोग पानी डालने लगे, तभी जोरदार विस्फोट हुआ। इसमें 78 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा घायल हो गए। आसपास के मकान ध्वस्त हो गए और कई क्षतिग्रस्त हुए। चारों ओर लाशों का ढेर लग गया। शरीर चीथड़ों में बदल गए। घटना के बाद मुख्य आरोपी राजेन्द्र कांसवा को पुलिस ने इसी विस्फोट में मृत घोषित किया था। हादसे के बाद पेटलावद और आसपास के इलाकों में खोजबीन के दौरान पुलिस को बड़ी मात्रा में जिलेटिन और डेटोनेटर का भंडारण कासंवा परिवार के मालिकाना गोदामों और मकानों में मिला था। इसी से जुड़े मामलों में परिवार के लोगों सहित एक सप्लायर को आरोपी बनाया गया था।