सांसद गुमान सिंह डामोर ने किया अन्न उत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ, हितग्राहियों को बांटी पात्रता पर्ची

झाबुआ, विजय शर्मा। सांसद गुमान सिंह डामोर द्वारा बुधवार को नवीन जिला पंचायत भवन में आयोजित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 एवं मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना अंतर्गत नवीन हितग्राहियों को पात्रता पर्ची तथा खाद्यान्न वितरण समारोह का मॉ सरस्वती के चित्र पर माल्यापण एवं दीप प्रज्जवलीत कर विधिवत शुभारंभ किया गया।

गुमान सिंह डामोर ने इस समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गरीबों के हितों का बहुत ध्यान रखते हैं। सभी लोग अपना आधार कार्ड आवश्यक रूप से बनवाएं ताकि यह आधार कार्ड पूरे देश में पहचान का काम करेगा। सरकार ने गांव-गांव सड़के, पुलिया, स्कुल भवन, आंगनवाड़ी केन्द्र व स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराइ है। डामोर ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण सप्ताह के आयोजन करने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्म दिवस 17 सितम्बर से यह पखवाडा शुरू किया जा रहा है। इसी दिन से आंगनवाडी केन्द्रों में कुपोषित बच्चों को दुग्ध प्रदाय किया जावेगा। इसके अलावा बहुत सारी योजनाओं का क्रियान्वयन किया जावेगा। गुमान सिंह डामोर ने कहा कि मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के तहत प्रति सदस्य पांच किलो ग्राम खाद्यान्न, एक किलो ग्राम दाल प्रति परिवार निःशुल्क तथा प्रति परिवार एक किलो ग्राम आयोडाईज्ड नमक 1 रूपया की दर से और प्रति परिवार 1.5 लीटर केरोसीन कलेक्टर द्वारा निर्धारित दर पर उपलब्ध कराया जाएगा।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।