ज्योतिरादित्य सिंधिया का कोरोना सेफ शेकहैंड, खिलाड़ियों का किया उत्साह वर्धन

Gaurav Sharma
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भोपाल डेस्क रिपोर्ट। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शनिवार को भोपाल के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने भारत और बांग्लादेश के दृष्टिबाधित क्रिकेट खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त किया और कोरोना से बचते हुऐ उनसे अनूठा शेकहैंड भी किया।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शनिवार की शाम भोपाल पहुंचे। यहां वे क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया के द्वारा कराई जा रही क्रिकेट सीरीज मे भाग लेने फेथ क्लब पहुंचे। भारत और बांग्लादेश की दृष्टि बाधित क्रिकेट टीमों के बीच तीन टी-20 और तीन वनडे मैचों की इनसाइड श्रृखंला खेली जा रही है। इस दौरान सिंधिया ने दोनों क्रिकेट टीमों का न केवल शुभकामनाएं दी बल्कि कोरोना को ध्यान रखते हुए उनके साथ एल्बो हैंडसेट करके टीमों का उत्साह वर्धन भी किया। इस दौरान उन्होंने दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता के साथ सिंधिया परिवार के पुराने संबंधों को याद किया। उन्होंने बताया कि उनके पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया ने अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग प्रतियोगिताओं को आयोजित किया था और खुद भी इसे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने खिलाड़ियों के हुनर की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है। शुक्रवार से शुरू हुए यह मुकाबले बेहद रोचक है और रोजाना हजारों लोगों की भीड़ इन्हें देखने जुट रही है। घुंघरू वाली 87 ग्राम की प्लास्टिक गेन्द से मुकाबला खेला जा रहा है। भारतीय टीम में पहली बार मध्यप्रदेश के ओमप्रकाश को मौका दिया गया है। भारत की ओर से सुनील रमेश टीम की कप्तानी कर रहे हैं। इस अवसर पर सिंधिया के साथ परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत भी मौजूद थे।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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