Khandwa News : मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में मकान की खुदाई के दौरान ग्रामीणों को चांदी के सिक्के मिले हैं। दरअसल, यह घटना खिडगांव की है जब 10 दिसंबर को सुरेश पटेल अपने पुराने घर को तोड़कर नया मकान बनवा रहे थे। इस दौरान जो मिट्टी निकाली गई उसे नदी के किनारे फेंक दिया गया। जिसके अगले दिन बच्चे खेलने पहुंचे और खेल-खेल में उन्हें मलबे से चांदी के सिक्के मिले। फिर बच्चों ने इसकी जानकारी गांववालों को दी। ग्रामीणों ने मलबा छानना शुरू कर दिया तब उनके हाथ और भी कई सिक्के लगे। फिर क्या था… यह बात आग की तरह फैल गई।
लोगों का कहना- ये टंट्या भील की लूट का हिस्सा
खबर की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासन भी एक्शन मोड में आ गया। हालांकि, जब तक पुलिस मौके पर पहुंची तब तक ग्रामीणों ने मलबे में दबे सारे सिक्कों को निकाल लिया था। बता दें कि जितने भी सिक्के पाए गए हैं वह सभी 17वीं और 18वीं सदी के बताए जा रहे हैं। जिसपर ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया की मोहर लगी हुई है। इस घटनाक्रम के बाद ग्रामीणों का यह कहना है कि यह कोई पुराना खजाना नहीं, बल्कि जननायक टंट्या भील की लूट का एक हिस्सा है जो वह गरीबों में बांटा करते थे।
जमीदारों से लूटते थे सिक्के और जेवरात
इतिहासकारों का कहना है कि टंट्या भील स्वभाव से विद्रोही थे। दरअसल, अंग्रेजी हुकूमत के दौरान जागीरदारों ने उन्हें जेल में डाल दिया था। जिसके बाद उनका गुस्सा बड़ा रूप बनकर उभरा। उन्होंने समाज में जागरूकता और समाजिक बदलाव के लिए संघर्ष शुरू किया। जब उन्हें जेल में डाला गया, तो उनका सोचने का तरीका बदल गया और गरीबों की मदद करने के लिए उन्होंने अपने जैसे युवाओं की टोली बनाई, जिन्होंने जमींदारों और कारोबारियों के खिलाफ आंदोलन किया। ये सभी जमीदारों और कारोबारी के पास से सोने-चांदी के सिक्के और जेवरात लूटते थे। फिर उस धन को गरीबों में बांट देते थे। इस कारण सभी लोग उन्हें प्यार से मामा भी कहने लगे थे क्योंकि वे लोगों के लिए एक प्रकार के संरक्षक बन गए थे।
इतना समृद्ध नहीं था परिवार- सुरेश पटेल
वहीं, इस मामले में सुरेश पटेल का कहना है कि उनका परिवार कभी भी इतना समृद्ध नहीं रहा है। उनके पूर्वज मजदूरी किया करते थे। ऐसे में उनके मकान के नीचे पाए जाने वाले यह सिक्के कहां से आए है वो नहीं जानते। फिलहाल, इस बात की कोई ठोस जानकारी भी नहीं लग पाई है। इधर, गांव के सरपंच रेवा शंकर पटेल का कहना है कि उनका गांव सैकड़ों साल पुराना है। इससे पहले उन्होंने कभी भी इस प्रकार मलबे से सिक्के निकलते नहीं देखा है। हालांकि, आसपास के गांवों में ऐसी घटनाएं उन्होंने जरूर सुनी है।