इस जिले में लगातार जारी अनाज की कालाबाजारी, पुलिस ने जब्त किए 52 कट्टे गेहूं

Gaurav Sharma
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खंडवा, सुशील विधानी।  जिला दो-तीन सालों से लगातार गेहूं और अनाज की कालाबाजारी में नंबर वन पर बना हुआ है, जहां आए दिन गेहूं चावल केरोसिन सहित अन्य गरीबों को जो सरकार द्वारा नि:शुल्क प्रदान किए जाते हैं उसे बड़े पैमाने पर जिले के अधिकारियों की सांठगांठ से बेचा जा रहा है।

ऐसा ही मामला धनगांव थाना क्षेत्र में देखने को मिला जहांं एक ओर केंद्र सरकार गरीबो को नि:शुल्क अनाज वितरण कर रही है, वही दूसरी ओर ग्राम जामन्या के सेल्समैन कैलाश यादव द्वारा गरीबों के इस अनाज को काला बाजारी कर व्यापरियों को बेचा जा रहा है। वन सुरक्षा समिति जामन्या की उपभोक्ता दुकान से 52 कट्टे गेहूं हेराफेरी करते धनगांव पुलिस ने जब्त किए गए है।

पंधाना विधानसभा क्षेत्र के थाना धनगांव के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत जामन्या की उपभोक्ता राशन दुकान से सेल्समैन कैलाश यादव द्वारा 52 कट्टे गेंहू पिकअप में भरवा कर खंडवा की ओर ले जा रहा था। जिसकी भनक लगते ही गांव वालों ने मोटर साइकिल से पीछा किया, और अनाज को व्यपारी के गोडाउन में बिकने जाने से रोक लिया।
ग्रामीणों द्वारा गेहूं से भरे वाहन का पीछा करता देख वाहन चालक ने सभी गेंहू के कट्टो को रास्ते मे ही गिराकर वाहन चालक एवं सेल्समैन कैलाश यादव वहां से फरार हो गए।

सुबह ग्रामीणों द्वारा 100 नंबर को सूचना दी गई और धनगांव थाना प्रभारी डीएसपी प्रशिक्षु नीलम चौधरी ने मौके पर पहुंकर गेंहू के कट्टो को जब्त कर लिया और मामले की जांच शुरू कर दी है।गौरतलब हैं कि वन सुरक्षा समिति द्वारा सेल्समैन को अनाज वितरण का जिम्मा दिया गया है। सेल्समैन द्वारा धांधली के मामले सामने आने के बाद भी उस पर खाद्य विभाग द्वारा कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही ये सवाल खड़ा करता है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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