खंडवा। सुशील विधानि।
जिला सह. बैंक में वेयरहाउस तारण ऋण योजना अन्तर्गत फर्जी योजना तैयार कर किसानों एवं मजदूरों के नाम पर करोड़ों की राशि निकालकर बंदरबाट करने वाले ए.के. जैन एवं इनका सगा चाचा अरूण कुमार हसोला मंदसौर जिला सहकारी बैंक में पदस्थ रहे, इन्होंने अपनी पद स्थायी के दौरान मंदसोर किया गया। इस प्रकरण में दोनों के विरूद्ध वारंट जारी है तथा फर्जी चेक एवं ड्राफ्ट तैयार करवाकर बैंकों के करोड़ों रूपयों का दुरूपयोग किया। इस प्रकरण में दोनों के विरूद्ध वांरट जारी है वहीं मजदूर एवं बैंक के कर्मचारी जेल में है। भारतीय रिजर्व बैंक, नाबार्ड एवं सहक��रिता विभाग के स्तर से की गई जांच में दोनों को दोषी मानते हुये मास्टर मांइड कराकर दिया गया। जिला कलेक्टर मंदसौर एवं नीमच द्वारा भी दोनों को दोषी मानकर एफ.आई.आर. एवं अपराधिक प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिये गये। किन्तु इतनी लम्बी अवधि बीत जाने पर भी दोनों अपने पद पर पदस्थ है तथा कार्यवाही आज तक लंबित है, ऐसी कौन सी ताकत कार्यवाही से रोक रही है।
खण्डवा जिला बैंक एवं मंदसौर जिला बैंक में इनके द्वारा किये गये गबन प्रमाणित है इस आधार पर शासन में बैठे एक उच्च अधिकारी के सत्य प्रसास से ए.के. जैन को निलंबित किया गया, परन्तु चुनाव व आचार संहिता के अन्तर्गत उच्च स्तर पर बड़ी भेंट चढ़ाकर तथा अपैक्स बैंक के प्रबंध संचालक पर दबाव डलवाकर बहाल हो गये। जो कि कमलनाथ की सरकार में सम्भव नहीं था परन्तु ऐसा हो गया। जबकि होना तो यह था कि यदि ईमानदारी से प्रयास होते तो श्री जैन को सेवामुक्त करना था। इसी दौरान इनके चाचा अरूण कुमार हरसोला को बैतूल जिला बैंक से सीधी स्थानांतरित किया गया, किन्तु यह अपने सहकारिता के श्रेष्ठ उच्च वरदहस्त पर आज तक ज्वाईन नहीं हुये तथा खण्डवा, खरगोन जिला बैंक के लिये प्रयासरत है तथा वर्तमान खण्डवा एम.डी. को हटाने के लिये इसलिये प्रयास कर रहे हैं कि खण्डवा बैंक में ए.के. जैन के कृत्यों एवं सबूतों को नष्ट कर सके। वर्तमान में खण्डवा बैंक में पदस्थ एम.डी. जिन्हें खण्डवा/बुरहानपुर के लोग पसंद कर रहे हैं इसलिये कि ये निहत ईमानदार तथा बैंक के प्रति समर्पित है तथा ऐसा न होता तो ए.के. जैन के करोड़ों रूपयों के भ्रष्टाचार के कारण खण्डवा बैंक में ताले पड़ जाते, कर्मचारी बेरोजगार हो जाते वर्तमान एम.डी. एन.यू. सिद्दीकी ने खण्डवा बैंक में ज्वाईनिंग के मात्र 02 माह में शासन की समाधान योजना में अपनी प्रशासनिक क्षमता के आधार पर 100 करोड़ से अधिक की वसूली की तथा शासन से करीब 112 करोड़ रूपये के लगभग ब्याज प्राप्त कर खण्डवा जिला बैंक को डूबने से बचा लिया। इस बैंक से हजारों काश्तकारों, व्यापारियों, कर्मचारियों का भविष्य जुड़ा था।
खण्डवा, बुरहानपुर के कर्मचारी, काश्तकार यह कहते नहीं थकते कि काश श्री सिद्दीकी जैसा ईमानदार अधिकारी हमारी जिले की बैंक में 10 वर्ष पूर्व आना चाहिए था तो बैंक ऐसी नाजुक स्थिति न होती। श्री जैन ने बैक के कई कर्मचारियों पर अनैतिक दबाव बनाकर जैसे सस्पेंड कर दूंगा, नौकरी से निकाल दूंगा, दबाव डालकर अनैतिक नियम विरूद्ध कार्य करवाये तथा बैंक का करोड़ों रूपया लूटा और करोड़ों रूपयों के एन.पी.ए. में बैंक को ला दिया। परन्तु वर्तमान एम.डी. का कहना है कि मैं आने वाले दिनों में बैंक को सुदृढ़ व लाभ की स्थिति में ला दूंगा। इतना ही नहीं इसमें बैंक के कर्मचारी दोषी नहीं है उन पर अनैतिक दबाव डालकर उनसे अनैतिक कृत्य करवाये हैं।
अनुप कुमार जैन द्वारा वर्ष 2017-18 में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक खण्डवा की 5 शाखाओं से संबंधित 35 प्राथमिक कृषि साख सहकारी साख समितियों में 11278 किसानों की सहमति के बगैर उनके खातों को फर्जी तरीके से नामे कर फर्जी बीमा किया गया तथा 56.39 लाख अपने निजी रिश्तेदार शुभम जैन बीमा एजेन्ट को भुगतान कर राशि बंदरबॉट किया तथा गरीब किसानों के पैसों के साथ धोखाधड़ी की गई। इस संबंध में अपैक्स बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जॉचकी गई तथा जांच में दोषी पाये गये एवं मंदसौर जिला बैंक जांच में भी दोषी पाये जाने पर प्रमाणित उक्त कृत्यों के लिये श्री जैन को निलंबित किया गया। परन्तु शासन के उच्च वरदहस्त एवं भेंट पूजा के आधार पर ये चुनाव आचार संहिता में भी बहाल हो गये तथा अपने कु कृत्यों पर पर्दा डालने के लिये वर्तमान ईमानदार अधिकारी को खण्डवा बैंक से हटाने के लिये साम, दाम, दंड, भेद का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी कड़ी में खण्डवा बैंक कर्मचारी सहकारी संघ के जाली लेटरपेड छपवा कर संघ के अध्यक्ष के.के. साहू के जाली हस्ताक्षर कर अपैक्स बैंक भोपाल में शिकायत कर डाली की श्री सिद्दीकी का खण्डवा बैंक से स्थानांतरण किया जाए। संघ के अध्यक्ष के.के. साहू के मोबाईल नं. 9165860443 पर शिकायत के संबंध में पुष्टि की तो उन्होंने साफ -साफ इंकार किया, कि कर्मचारी संघ द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई है ये फर्जी है हम ऐसे बैंक के प्रति समर्पित जो 18-18 घंटे काम करें ऐसे ईमानदार अधिकारी श्री सिद्दीकी के विरूद्ध क्यों शिकायत करेगें। बल्कि कर्मचारी संघ का इन्हें पूरा समर्थन है । जिन्होंने डूबती बैंक को बचाया है तथा संघ के लेटरपेड पर की गई इस फर्जी शिकायत करने वाले के विरूद्ध संघ एवं कर्मचारी जॉच की मांग करते हैं संघ का लेटरपेड इस्तेमाल करने व झूठी शिकायत करने के विरूद्ध कर्मचारी संघ एफ.आई.आर. भी दर्ज करवायेगा। अभी-अभी सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि अनूप कुमार जैन को अपने करोड़ों के भ्रष्टाचार आरोपों के तहत वरिष्ठ महाप्रबंधक फस्र्ट पद से पद अवनत कर सेकण्ड ग्रेड में महाप्रबंधक बना दिया गया।
जिला सहकारी बैंक खण्डवा में स्वयं सहायता समूह अन्तर्गत कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति की गई एवं स्वयं सहायता समूह के नाम पर लाखों रूपयों का ऋण वितरित किया गया, तथा भाजपा के नेताओं को उपकृत करने के उद्देश्य से कार्यकर्ताओं को उपकृत कर लाखों रूपयों का ऋण वितरण कर लाभ पहुंचाया गया जो कि सभी ऋण इनके कार्यकाल में ही एन.पी.ए. है। इतना ही नहीं खण्डवा के सांसद के दामाद की फर्जी सुरक्षा एजेन्सी बनवाकर सांसद को खुश करने एवं खण्डवा बैंक में बने रहने के ���द्देश्य से बीजेपी एवं आर.एस.एस. के कार्यकर्ताओं को वाहन चालक एवं सुरक्षा गार्ड में नियुक्ति प्रदान की गई। यहां भी इनकी नियुक्तियों में भ्रष्टाचार किया, मेडिकल, ड्रेस, पी.एफ. का कोई लाभ न देकर यह पैसा गबन किया तथा वरदहस्त प्राप्त कर 11 वर्षो तक 02 कार्यकाल में खण्डवा बैंक में पदस्थ रहे व गबन करते रहे।
खण्डवा जिला बैंक में लोक अदालत के माध्यम से अकृषि ऋणों में बड़े-बड़े व्यापारी, प्रतिष्ठानों से सांठगांठ कर समझौता योजना लागू कर शासन की नीति के विरूद्ध करोड़ों रूपयों की क्षति संस्थाओं को पहुंचाई।
तत्कालिक एम.डी. जैन अपने दुश्मनों को निपटाने के लिये ऐसा ज्ञात हुआ है कि मानव अधिकार आयोग, भष्टाचार उन्मूलन संस्था, जिला सहकारी कर्मचारी संघ, किसान संघ व अन्य कई संस्थाओं के जॉली लेटरपेड छपवाकर झूठी शिकायतें पोस्ट करते रहते हैं । इसी कड़ी में खण्डवा कर्मचारी संघ एवं भ्रष्टाचार उन्मूलन के लेटरपेड पर श्री सिद्दीकी की झूठी शिकायतें की गई तथा अन्य कई अनगढंत आरोप लगाकर करीब 30-40 शिकातयें की गई, जो कि झूठी पायी गई। मकसद खण्डवा बैंक से श्री सिद्दीकी जी को हटाना, कारण उनके रहते श्री जैन द्वारा किये गये करोड़ों के गबन घोटालों पर पर्दा डलेगा ।इसी कड़ी में अपने चाचा जो कि खुद आरोपी थे ।अरूण कुमार हरसोला को खण्डवा बैंक में पदस्थ कराने के लिये साम, दाम, दण्ड, भेद की सारी कोशिशें ईमानदारी के आगे फैल हो गई।
ए.के. जैन का स्थानांतरण दिनांक 13/12/2017 को खण्डवा जिला सहकारी बैंक खण्डवा से अपैक्स बैंक मुख्यालय भोपाल अटैच किया गया। किन्तु इनके द्वारा सांठगांठ कर ट्रॉंसफर निरस्त कराने के प्रयास किये गये तथा खण्डवा बैंक में स्थानांतरित एम.यू.सिद्दीकी को खण्डवा बैक में आने से रोका गया है तथा श्री जैन के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में झूठा शपथ पत्र एवं फर्जी एवं कूट रचित दस्तावेज देकर स्थगन आदेश लेकर अपैक्स बैंक भोपाल से रिलिव हुये बिना अवैधानिक तरीके से 14/05/2018 तक पद पर बने रहते हुये भाजपा नेताओं के इशारे पर आर्थिक एवं प्रशासनिक निर्णय लिये गये तथा छ: माह तक श्री सिद्दीकी जी को खण्डवा बैंक में ज्वाईन करने से रोके रहे।
भाजपा के वरिष्ठ एवं प्रदेश स्तरीय मंत्री, सांसद, विधायक आदि को चुनाव एवं आर.एस.एस. की शाखाओं के संचालन हेतु बैंक से अवैधानिक रूप से धन एवं शासकीय योजनाओं में अनियंत्रित ऋण एवं अनुदान की राशि डकार कर लाखों करोड़ों का चंदा दिया गया । परन्तु माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश निरस्त कर अपैक्स बैंक मुख्यालय भोपाल में उपस्थित होने के आदेश दिये गये । तथा श्री जैन द्वारा लगायी गई याचिका को योग्य नहीं पाया गया तथा पिटीशन खारिज की गई। यदि याचिका खारिज नहीं होती तो श्री जैन नौकरी में न होकर कारावास में होते । यहॉं यह भी उल्लेखनीय होगा कि भाजपा के 15 साल के शासनकाल में उसके द्वारा लगभग 6 वर्ष के बाद पुन: बैंक एसोसिएशन तथा कर्मचारियों के विरोध के कारण उसका स्थानांतरण भोपाल किया गया। परन्तु इसने भाजपा के क्षत्रपों के सहयोग से अपने गृह जिले मंदसौर में पोस्टिंग करा ली वहॉ पहले से उसका चाचा अरूण कुमार हरसोला गबन / धोंखाधड़ी एवं किसानों के नाम योजना बनाकर लाखों रूपये डकार चुका था । उसके पश्चात पापों का भांडा न फूटे तो भतिजे ए.के. जैन को मंदसौर पदस्थ करा लिया गया, 03 साल में चाचा हरसोला का रिकार्ड तोड़ कर करीब 10 करोड़ रूपये का गबन, धोखाधड़ी की गई नाबार्ड तथा सहकारिता अधिकारियों से प्रकरण की जॉच करायी। जिसमें दोनों अधिकारियों को दोषी माना गया परन्तु ए.के.जैन को जिला सहकारी बैंक खण्डवा की कमान पुन: सौंप दी गई। जो कतई उचित प्रतीत नहीं होगा। ए.के. जैन द्वारा खण्डवा की दूसरी पारी में 5 से 6 वर्ष तक जमें रहे। इस प्रकार खण्उव बैंक में जैन ने 11-12 साल भाजपा शासन में गुजारे।
इस दौरान जैन ने बैंक के अकृषि ऋणों तथा शासकीय योजनाओं में तथा ट्रेक्टर आदि में अनियंनियत्रित रूप से शासन एवं किसानों की गाड़ी कमाई को पलिता लग कर अपने हितों को और भाजपा तथा आर.एस.एस.को मजदूत करने में अहम भूमिका निभाई तथा आंकड़ों के जादूगर श्री जैन ने 1500 करोड़ की बैंक को मात्र 2 करोड़ का फर्जी लाभ दर्शाया गया । यदि किसी निष्पक्ष एजेन्सी से जैन के उक्त कृत्यों की जॉच करायी जाती है तो जैन सलाखों के पीछे होगा। श्री जैन द्वारा श्वेता जैन और उनके पति परिमल जैन को शासन एवं बैंक की योजना के तहत 50 लाख का अनियंत्रित ऋण स्वीकृत हुआ । जो ऋण अदायगी न होने के कारण 80 से 90 लाख रूपयों के बीच हानि में एन.पी.ए. हो चुका है। श्री जैन द्वारा शासन की योजनाओं में आपात्रों को ऋण वितरण कर अपने निजी स्वार्थो की पूर्ति की गई है ।
श्री जैन द्वारा दलालों के माध्यम से कृषि एवं उद्यानिकी एवं अन्य योजना जैसे शेडनेट, निजी कस्टम, ट्रेक्टर, हार्वेस्टर आदि के बिलों में 50 प्रतिशत अनुदान का बंदरबॉट कर शासन के करोड़ों रूपयों का दुरूपयोग कर पैसा कमाया गया जिसका सम्पूर्ण रिकार्ड विभिन्न माध्यमों से वरिष्ठ कार्यालयों को पूर्व में प्रेषित किया जा चुका है । किसी ईमानदार एजेन्सी से जॉच किया जाना नितांत आवश्यक है।
श्री जैन द्वारा बुरहानपुर जिले की शाखा खकनार में रानी दुर्गावती योजनांतर्गत गरीब आदिवासियों के नाम पर लाखों रूपयों का ऋण वितरित किया जो कालातीत होकर 70 लाख रूपये शेष है। इस प्रकरण में छोटे कर्मचारियों को तो सजा मिली किन्तु श्री जैन भाजपा के वरिष्ठ एवं रसूखदार नेताओं का संरक्षण प्राप्त कर बचता रहा। आज भी करोड़ों रूपया डूंबत खाते है। बैंक की शाखा खकनार में ओमप्रकाश चौकसे व उनके परिवार पर लाखों रूपयों का ऋण उपकृत कर किया जो वर्तमान में कालातीत है। इसी प्रकार शाखा डोईफोडिया से भी ओमप्रकाश चौकसे को लाखों रूपयों का ऋण उपलब्ध कराया गया। शाखा खकनार में दागी अधिकारियों को पदस्थ कर कृषि तथा खाद बीज के ऋण में बड़ा भ्रष्टाचार किया गया। श्री जैन ने अपने कार्यकाल में किसी भी दोषी अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध अपराधिक प्रकरण कायम कर उन्हें दण्डित नहीं किया गया। फलस्वरूप बैंक ने दागी एवं उनके चापलूस कर्मचारियों को संरक्षण प्रदान किया गया। कर्मचारी संघ के पदाधिकारी को गु्रप बनवाकर प्रताडि़त किया गया। श्री जैन ने एकछत्र राज किया तथा तुगलकी फरमान जारी कर बैंक को करोड़ों के रसाताल में डाल दिया। श्री जैन चरित्रहीन व्यक्ति है जो महिलाओं को अपने पद का प्रभाव दिखाकर उन्हें आर्थिक प्रलोभन देकर उनका शोषण करने का आदी है। खण्डवा, बुरहानपुर, भोपाल में ये चर्चा का विषय है।
श्री जैन द्वारा शाखा छनेरा की दगडख़ेड़ी समिति में भी फर्जी ऋण वितरण कराया गया। बैंक द्वारा दोषी कर्मचारियोंं पर कोई कार्यवाही नहीं की इस संबंध में किसानों द्वारा शिकायत की जॉच की गई जिसमें करोड़ों रूपयों का गबन धोखाधड़ी पाई गई। इस संबंध में खण्डवा कलेक्टर द्वारा दोषियों के विरूद्ध एफ.आई.आर. दर्ज कराने के आदेश दिये गये। ए.के. जैन द्वारा उनके कार्यकाल में बुरहानपुर जिले की धूलकोट समिति में करोड़ों रूपयों के फर्जीवाड़े को छुपाने के लिये समिति में अग्निकांड करा दिया गया तथा सोसायटी निर्माण में करोड़ों का भ्रष्टाचार किया गया। जिसकी जॉच अपैक्स बैंक द्वारा प्रक्रियाधीन है ।