गुरु पूर्णिमा पर MP के इस शहर में मिलता है सबकुछ मुफ्त, पूरा शहर करता है मेहमानों को स्वागत

गुरुपूर्णिमा पर्व में शामिल होने के लिए भक्तजन सैकड़ो किलोमीटर की पैदल यात्रा करके यहाँ पहुँचते है। शहर में प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं की आवभगत शुरू हो जाती है।

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MP News : क्या आप किसी ऐसे शहर को जानते है ? जहाँ दो दिनों तक ,सब कुछ मुफ्त मिलता हो ! नगर में आने वाले मेहमानों का स्वागत पूरा शहर मिलकर करता हो जी हाँ ये सच है….देखें खण्डवा से ये ख़ास रिपोर्ट में…

ऐसा ही कुछ होता है मध्यप्रदेश के खंडवा में जहाँ गुरुपूर्णिमा पर्व के दौरान नगरवासी ,जात-पात और धर्म का भेद मिटाकर, बाहर से आने वाले भक्तों की सेवा करते है। हर साल गुरुपूर्णिमा पर देश भर के लाखो भक्त “दादा दरबार” में माथा टेकने आते है।

अगर आप की जेब में पैसे भी ना हो तो चिंता की कोई बात नहीं खंडवा में चल रहे गुरुपूर्णिमा के पर्व पर आप मनपसन्द खाना खा सकते है वह भी मुफ्त। सिर्फ खाना ही नहीं खंडवा में चाय, नाश्ता, विभिन्न प्रकार के पकवान के साथ आने -जाने के लिए टेक्सी और स्वास्थ्य खराब हो जाए तो दवाइयां भी मुफ्त मिलती है। मुफ्त की यह व्यवस्था सरकार नहीं बल्कि खंडवा के निवासी आपसी सहयोग से करते है। गुरुपूर्णिमा के दौरान खंडवा में तीन सौ से अधिक भंडारे आयोजित किये जाते है।

दादाजी की समाधि पर मत्था टेक रहे शिष्य

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में धूनी वाले दादाजी के आश्रम में देश भर से हजारों शिष्य उनकी समाधि पर माथा टेकने आते हैं। खंडवा में इंदौर रोड़ पर स्थित भगवान शंकर के अवतार कहे जाने वाले संत केशवानंद जी महाराज की भव्य समाधि स्थापित है। यहां उन्होंने सन 1930 में अपना देहत्याग किया था। केशवानंद जी महाराज उर्फ़ बड़े दादाजी अपने निकट हमेशा एक धूनी जलाए रखते थे।वो धूनी आज भी खंडवा में लगातार पिछले करीब 86 वर्षों से जलती आ रही है।12 साल तक उनके शिष्य हरिहर नाथ जी महाराज ने उनकी समाधि की सेवा की। 1942 में इन्होने भी देहत्याग कर दिया। इनकी इच्छा स्वरूप हरिहर नाथ जी महाराज उर्फ़ छोटे दादाजी की समाधि भी बड़े दादाजी की समाधि के निकट स्थापित की गई। गुरु-शिष्य की इस अद्भूत मिसाल को देखने यहाँ देशभर से लाखों लोगों का गुरुपूर्णिमा के दिन जमावड़ा लगता है।

गुरुपूर्णिमा पर्व में शामिल होने के लिए भक्तजन सैकड़ो किलोमीटर की पैदल यात्रा करके यहाँ पहुँचते है। शहर में प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं की आवभगत शुरू हो जाती है। यही वजह है कि गुरुपूर्णिमा पर्व पर खंडवा आने वाले भक्तो की संख्या लगातार बढ़ रही है। खंडवा अवधूत संत केशवानन्द की तपोभूमि कहलाता है। हमेशा अपने सामने आग की धुनी रमाये रखने वाले संत की समाधि खंडवा में है। जिन्हें भक्त दादाजी धुनी वाले के नाम से याद करते है। हर साल गुरुपूर्णिमा पर देश भर के लाखो भक्त इनके दरबार में माथा टेकने आते है। छत्तीसगढ़ से आऐ आर के शिवहरे पिछले पच्चीस वर्षो से गुरुपूर्णिमा पर्व पर खंडवा आ रहे है। वे खंडवा के नागरिको के सेवाभाव को देखकर इतना ही कहते है कि पर्व के दो दिनों तक पूरा खंडवा दादाजी धाम हो जाता है।

 

 

गुरु पूर्णिमा पर MP के इस शहर में मिलता है सबकुछ मुफ्त, पूरा शहर करता है मेहमानों को स्वागत

गुरु पूर्णिमा पर्व के दौरान खंडवा के दादा दरबार में शीश नवाने वाले भक्तों की संख्या लाखो में होती है। बैतूल से खडवा तक 15 दिनों की पद यात्रा करके दादा दरबार पहुचने वाले नरेन्द्र सोनी बताते है कि देश में सिर्फ खंडवा ही एक एसा शहर है जहाँ के नागरिक अपनी तरफ से भक्तों की भरपूर सेवा करते है। वही गुजरात निवासी भाई जी गुरुपूर्णिमा उत्सव देख जमकर खंडवा वासियों की तारीफ़ की।

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इस महंगाई के जमाने में लाखों मेहमानों की मेजबानी करना आसान नहीं है। गुरुपूर्णिमा पर्व पर खंडवा वासियों द्वारा भक्तो की निस्वार्थ सेवा, अतिथि देवो भव, मानने वाली भारतीय संस्कृति का भी एक उदाहरण है।

खंडवा से सुशील विधाणी की रिपोर्ट


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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