MP के सरकारी स्कूल हैं बदहाल, शिक्षा सुधार के दावों के बीच बदतर होती हालत का खुलासा

शिक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च कर बेहतर सुविधा देने का दावा करने वाले अफसर भी मौन है और जनप्रतिनिधि भी। इन स्कूलों में बच्चों के भविष्य से हो रहे खिलवाड़ पर अभिभावक भी चिंता में है।

Amit Sengar
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MP News : खंडवा में सरकार और प्रशासन पिछले कई सालों से सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने का दावा कर रही हैं। वहीं उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देने की बात कही जा रही है और पिछले कुछ सालों में कई स्कूलों के नाम बदले जा चुके हैं। कई जिलों में स्कूलों को ‘सीएम राइज’ और अब कॉलेजों को ‘पीएमश्री’ नाम दिया गया है। इसके बावजूद भी प्रदेश में सरकारी स्कूलों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

पांच बच्चों से ही संचालित हो रहा सरकारी स्कूल

बता दें कि पंडित माखनलाल चतुर्वेदी के नाम पर संचालित हो रही सरकारी स्कूल की खंडवा के वार्ड क्रमांक 15 मे टपालचाल की गुरु नानक वार्ड में माखनलाल चतुर्वेदी पाठशाला हैं जिसमें एक चौथाई भाग में व्यायाम शाला और एक चौथाई भाग में चार आंगनबाड़ी लग रही हैं। मजे की बात यह है इस स्कूल में आज भी 4 से 5 बच्चे स्कूल में आते हैं जिसमें से स्कूल में जीजी बाई के दो बच्चे हैं मतलब जीजी भाई के बच्चों के अलावा सिर्फ दो से तीन बच्चे स्कूल में उपस्थित होते हैं इस स्कूल को मर्ज होने के लिए काफी सालों से सुनते आ रहे हैं और आंगनवाड़ी में जो चार आंगनबाड़ी एक साथ लग रही है जिसमें भी तीन से चार बच्चों से ज्यादा बच्चे कभी उपस्थित होते नहीं है इस आंगनवाड़ी और स्कूल की छत के ऊपर व आसपास फसल नुमा गंदगी पौधे पनप चुके हैं। जिसके कारण यह बिल्डिंग के चारों तरफ से सीलिंग हो रही है। सार्वजनिक मूत्रालय जो स्कूल से लगा हुआ था टूटने के बाद नया बना ही नहीं। इस स्कूल में शाला विकास समिति आज तक नहीं बनी है ना ही किसी प्रकार का यहां पर स्कूल नियमों में कार्य किया जाता है।

शिक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च कर बेहतर सुविधा देने का दावा करने वाले अफसर भी मौन है और जनप्रतिनिधि भी। इन स्कूलों में बच्चों के भविष्य से हो रहे खिलवाड़ पर अभिभावक भी चिंता में है।

खंडवा से सुशील विधाणी की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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