विश्वप्रसिद्ध ज्योर्तिलिंग किनारे मछलियों का ये कैसा अवैध शिकार

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खंडवा। सुशील विधानि।

ओंकारेश्वर विश्व के 12 ज्योर्तिलिंगों में पवित्र है। देश और दुनिया के लोग श्रावण में यहाँ पुण्य कमाने आते हैैं। अचरज की बात है कि मंदिर के किनारे ओंकारेश्वर जलाशय से प्रतिबंध के बावजूद मछलियां मारकर देश के कई हिस्सों में पहुंचाई जा रही हैैं। सबको पता है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करता। औपचारिक कार्रवाई एक बार हो चुकी है। इसके बाद शासन भी मत्स्य विभाग खंडवा को अपडेटेशन में ले चुका है। अब विभाग की मिलीभगत से बड़े जलाशयों को खुली छूट देकर अफसर भी पांचों उंगलियों से घी फटकार रहे हैैं।

बताते हैैं कि सावन मास में भी ओकारेश्वर जलाशय से मछली चोरी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।  मत्स्य महासंघ नाकाम हो रहा है। लगातार 1 हफ्ते से अखबारों व सोशल मीडिया पर खबरें वायरल होने के बाद भी मछली तस्करों पर अभी तक कार्रवाई नहीं हुई। 15 जून से 15 अगस्त तक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद मत्स्याखेट किया जा रहा है। जलाशय का ठेका जिस ठेकेदार को दिया गया है वही जलाशय क्षेत्र से लगे गांवों के शिकारियों से रोजाना अवैध तरीके से मत्स्याखेट करवाने की खबर है। मत्स्य महासंघ नाकाम साबित हो रहा है। आरोप है कि ठेकेदार द्वारा वाहनों से जंगल के रास्ते अवैध परिवहन कर इंदौर मंडी में ले जाया जा रहा है। महासंघ द्वारा प्रतिबंधात्मक आदेश मत्स्याखेट विक्रय व परिवहन के सम्बंध में जारी किए गए है। इसके बाद भी जलासय से मछली चोरी की घटनाएं पुलिस व मत्स्य महासंघ की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रही है।

मप्र शासन के मत्स्योउद्योग विभाग के अधीनस्थ जलाशयों में शासन का नियम है कि मछली बीज विभाग अपने खर्चे से डालेगा। मत्स्याखेट का कार्य क्षेत्र के गरीब मछुआरों से कराया जाएगा तथा शासन द्वारा निर्धारित राशी रायल्टी लेकर मछली मछुआरों को दे दी जाती है, ताकि गरीब मछुआरे अपनी मेहनत का सीधे सीधे उचित लाभ पाये। मत्स्योउद्योग विभाग खंडवा के करीब 500 हेक्टेयर के 30 से 35 वर्ष पुराने भगवंत सागर जलाशय ;सुक्ता बांध को विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों को गुमराह कर इस जलाशय पर गठित कुछ उन मछुआ समितियों जो वर्षों से स्थानीय मछुआरों का शोषण कर रही हैं। मछुआ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सदाशिव भवरिया ने इस तरह के कई आरोप लगाए हैैं।


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