खंडवा सुशील विधानी।
खंडवा के आशापुर ग्राम में पिछले दिनों भारी बारिश के चलते आई बाढ़ से हुई तबाही ने एक और जहां पुरे गांव को अब महामारी के मुहाने पर ला कर खड़ा कर दिया हैं। वहीं होशंगाबाद हाइवे पर बने पुल के जर्जर होने से आसपास के क्षत्रों से आने वाले स्कूली बच्चों को पुल पार करने के लिए जान जोखिम में डालना पड़ रही हैं। जल्द ही इन समस्याओं पर प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो महामारी फैलने या किसी बच्चे की जान से हाथ धोने की नौबत तक आ सकती हैं।
हरसूद विधानसभा के ग्राम आशापुर में बाढ़ आने से वहां के लोगों को भयानक त्रसदी झेलनी पड़ी थी। लेकिन इतने दिनों के बाद भी गांव के हालात सुधरे नहीं हैं। पुरे गांव में बाढ़ के कहर से गंदगी फैली हुई हैं। हर गली और रस्ते पर कीचड़ का दलदल साफ देखा जा सकता हैं। ग्राम में फैली गंदगी के कारण अब तेज़ दुर्गंध फैलने लगी हैं। ग्रामवासियों के मुताबिक अब यहाँ रहना दूभर होता जा रहा हैं। ग्राम में सफाई की व्यवस्था नहीं होने से ऐसी स्थति बानी हैं। गांव वालों के मुताबिक गांव में एक ही सफाईकर्मी हैं।उसका भी बाढ़ में सब कुछ बहने से मानसिक रूप से परेशानी के चलते काम नहीं कर पा रहा हैं। हालांकि बाढ़ के बाद फोरी तौर पर हरसूद के सफाईकर्मियों ने आशापुर में सफाई कर किया था। लेकिन वे सफाई कार्य नाकाफी हैं क्योंकि आशापुर में अब भी चारों और बाढ़ के बाद फैली गंदगी का अम्बर लगा हुआ हैं। आशापुर निवासी। ……. ने बताया की घरों में रखा अनाज सड़ने और आसपास के गड्ढो में गंदा पानी जमा होने से असहनीय दुर्गंद से जीना दुस्वार होता जा रहा हैं। जल्द ही इस समस्या से निजात नहीं मिली तो आशापुर में महामारी का खतरा बाढ़ जाएगा।
हाथों से सफाई करना मुश्किल
आशापुर के रहने वालो ने बताया कि आशापुर में एक ही सफाईकर्मी हैं और गांव में आई बाढ़ से जिसतरह गंदगी फैली हैं उसके हिसाब से एक व्यक्ति से सफाई होना संभव नहीं हैं। ग्रामवासी भी स्वंम सफाई का कार्य कर रहे हैं पर तेज़ दुर्गंध के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं। उन्होंने प्रशासन से निवेदन किया की अगर जेसीबी या अन्य उपकरणों की मदद से सफाई की जाती हैं तो जल्दी से इस समस्या का निवारण संभव हो सकता हैं।
कीचड़ और सड़ा हुआ अनाज डिपोजल करने की व्यवस्था नहीं
ग्रामवासियों के मुताबिक घरों में भंडारण कर के रखें अनाज का बाढ़ में पानी में भीग जाने से काफी नुकसान हुआ हैं। स्टोर कर के रखें गए अनाज के सड़ जाने से अब बदबू आने लगी हैं। ऐसे में उसे अगर गांव में किसी स्थान पर डाला जाता हैं तो वहां भी परेशानी उत्पन्न होगी। ग्रामवासी सड़े हुए अनाज को नदी में भी बहाना नहीं चाहते उनका मानना हैं की ऐसा करने से नदी का पानी दूषित हो जायगा। ऐसे में उन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई हैं की आसपास के वन क्षेत्र में अगर गड्ढा खोद कर इस सड़े हुए अनाज को डंप कर दिया जाये तो बहुत हद तक उन्हें इस दुर्गंध से छुटकारा मिल जायगा।
डॉक्टर की टीम ���ी दुर्गन्ध से हो परेशान हो लौट आई
ग्रामीणों ने कहा की मेडिकल एसोसिएशन के द्वारा व जिला प्रशासन ने बीमारियों से बचाने के लिए डाक्टरों की टीम आशापुर भेजी थी लेकिन यहाँ इतनी गंदगी और तेज़ दुर्गन्ध देख कर डाक्टर भी नहीं रुक पाए।
मासूम बच्चें खतरों को पार कर पहुंचते हैं स्कूल
बाढ़ के पानी में अग्नि नदी पर बने पुल की हालत भी बहुत जर्जर हो गई हैं। ऐसे में पुल पर से वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी हैं यह रास्ता खंडवा को होशंगाबाद के रस्ते भोपाल से जोड़ता हैं। वर्त्तमान में यहाँ का ट्रेफिक डायवर्ड कर दिया गया हैं लेकिन आसपास के ग्रामीण बच्चें स्कूल आने जाने के लिए अब भी इस जर्जर पुलिया का मज़बूरी में उपयोग कर रहे हैं। पुल पार करने के लिए बच्चें एक दूसरे का हाथ पकड़ कर पुलिया पार करते हैं। ऐसे में अगर किसी बच्चें का बेलेंस बिगड़ा तो वह पुलियां से नीचे भी गिर सकता हैं। जिला प्रशासन ने कहा था की जल्दी ही पुल की मरम्मत कर इसे फिर से चालू कर दिया जाएगा। लेकिन अभी तक इस पुल की सुध लेना वाला कोई दिखाई नहीं देता।
इनका कहना है।
डॉ राजुल सोनी एम डी मेडिसिन खंडवा ने बताया कि मेडिकल एसोसिएशन के साथ मैं व कुछ डॉ मिलकर बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आशापुरा के पीड़ित को चेकअप व मैडिसन साथ लेकर पहुंचे थे परंतु वहां की स्थिति को देख कर ऐसा लग रहा है कि वहां फैली गंदगी और दुर्गंध से महामारी जरूर होगी अगर प्रशासन ने युद्ध स्तर पर उसे सफा सफाई नहीं कराई तो ?