खंडवा: फसलों की MSP को लेकर सड़क पर उतरे 5 हजार से अधिक किसान, निकाली आक्रोश रैली, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

सोयाबीन समेत कई फसलों के एमएसपी को लेकर खंडवा में किसानों ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

Manisha Kumari Pandey
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Khandwa News: बुधवार को सोयाबीन समेत अन्य फसलों का सही दाम नहीं मिलने पर नाराज़ किसानों ने सरकार का विरोध करते हुए आक्रोश रैली निकाली। सुबह से जिले के 360 से ज्यादा गांवों के किसान सब्जी मंडी में इकट्ठा हुए फिर। 200 से ज्यादा ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया है।

रेली सब्जी मंडी से शुरू होकर नगर निगम से होते हुए बॉम्बे बाजार, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड होते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंची। यहां प्रधानमंत्री के नाम संयुक्त कृषक संगठन सहित अन्य किसानों संगठनों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

क्यों नाराज हैं किसान? (Crops MSP) 

वर्तमान में सोयाबीन की फसल आने वाली है। ऐसे में आवक बढ़ने पर सोयाबीन के कीमतों में गिरावट आएगी। किसानों के लिए अपनी लागत निकलना भी मुश्किल हो जाएगा।  किसानों का कहना है कि पिछले कई सालों में महंगाई बढ़ी है, लेकिन 2012 में जो सोयाबीन की खरीदी मूल्य स्थिर हैं। इसके अलाव मक्का, गेंहू समेत अन्य फसलों के एमएसपी में वृद्धि की मांग किसानों से शासन से की है। संयुक्त किसान संगठन के नेताओं का कहना है की पूरे देश में सोयाबीन की कीमत पिछले 15 सालों के निचले स्तर पर है। जबकि कृषि लागत महंगा हो रहा है। पिछले 12 वर्षों में सोयाबीन की लागत लगभग दोगुनी हुई है, लेकिन कीमतों में सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा नहीं किया गया है।

किसानों ने सरकार से की ये मांग (MP Farmer Protest)

किसानों ने सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपये, मक्का 2500 रुपये, कपास 10 हजार रुपये और गेहूं 3500 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की है। केंद्र सरकार सोयाबीन का समर्थन मूल्य पर खरीद कर उसे पर ₹10 प्रति किलो के हिसाब से ₹1000 बोनस राशि सीधे किसानों के खाते में डाली जाए। जिससे कि हमें सोयाबीन के 6000 रु से ज्यादा भाव मिल सके। इसके अलावा  फसल बीमा नीति में संशोधन कर खेत को इकाई माना जाए। औसत उत्पादन 3 वर्ष का किया जाए। सेटेलाईट सर्वे प्रणाली किसानों को स्वीकार नहीं है, इसलिए रेंडम प्लाट पद्धति ओर नेत्राकंन सर्वे प्रणाली ही रखा जाए।  2018 से लेकर 2023/24 खरीफ सीजन में हुए फसल बीमा घोटाले की जांच कराई जाए। अन्यथा यह योजना बंद कर दी जाए। 
खंडवा से सुशील विधानी की रिपोर्ट 


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