खंडवा, सुशील विधानी। ‘एमपी गजब है अजब है’ यूं ही नही कहा जाता । यहां कब क्या हो जाए पता नही चलता।ताजा मामला खंडवा (Khandwa) जिले से सामने आया है। जहां अधीक्षण यंत्री कैलाश चौधरी (Superintending Engineer Kailash Chaudhary) को नगरीय विकास एवं आवास विभाग (Urban Development and Housing Department) ने तबादले (Transfer) के चार महीने के बाद भी ऑफिस जॉइन नहीं करने के कारण कार्यपालन निलंबित कर दिया है
दरअसल, कैलाश चौधरी इंदौर नगर पालिक निगम (Indore Municipal Corporation) में कार्यपालन यंत्री थे। 29 जुलाई को उनका तबादला खंडवा नगर पालिक निगम (Khandwa Municipal Corporation) में किया गया था। 31 जुलाई को उन्हें इंदौर नगर पालिक निगम से कार्यमुक्त भी किया जा चुका था, लेकिन अभी तक उन्होंने खंडवा नगर पालिक निगम में जॉइन नहीं किया। गुरूवार को अधीक्षण यंत्री कैलाश चौधरी ने नगरीय प्रशासन के आदेशानुसार ज्वाइन किया एवं उन्होंने आयुक्त हिमांशु भट्ट के साथ ही नगर निगम के इंजीनियर अंतरसिंह तंवर, हरेराम पांडे से शहर विकास को लेकर चर्चा भी की। लेकिन काम में लापरवाही के चलते शुक्रवार देर शाम नगरीय विकास विभाग के आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव (Commissioner Nikunj Srivastava) ने उन्हें निलंबित (Suspended) ही कर दिया है।
पूर्व पार्षद सुनील जैन ने बताया कि पहली बार बड़े निर्माण कार्यो के लिए अधीक्षण यंत्री के रूप में नगरीय प्रशासन विभाग ने कैलाश चौधरी को जुलाई में खंडवा भेजने के आदेश दे दिए थे लेकिन वे लंबे समय तक खंडवा नहीं आ सके। गुरूवार को दोपहर में उन्होंने खंडवा आकर अपनी ज्वाइनिंग दी। शुक्रवार को ही नगरीय प्रशासन के आदेशों की अव्हलेना को लेकर नगरीय प्रशासन प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव ने उन्हें निलंबित कर दिया।निलंबन अवधि में कैलाश चौधरी का मुख्यालय संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय इंदौर रहेगा। निलंबन अवधि में नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता खंडवा नगर पालिक निगम देगा।
उल्लेखनीय है कि वर्षो से नगर निगम खंडवा में अधीक्षण यंत्री और कार्यपालन यंत्री के अभाव में बड़े-बड़े विकास कार्य किए जा रहे हैं। शहर को बड़े निर्माण कार्यो के लिए अधीक्षण यंत्री एवं कार्यपालन यंत्री की आवश्यकता है जिसे नगरीय प्रशासन विभाग ने पूर्ण करना चाहिए।