कुपोषण से मुकाबला: घर-घर चल रहा पोषण अभियान, दिया जा रहा Ready to Eat food

खंडवा, सुशील विधाणी। कुपोषण से लड़ने का सही तरीका पोषण ही है और इसका एकमात्र रास्ता है सही और संतुलित भोजन। जिले ने कुपोषण से लड़ने में काफी हद तक सफलता पा ली है और इसे पूरी तरह से खत्म करना एक मात्र मकसद है। सरकार सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मना रही है।  इसी के तहत महिला बाल विकास विभाग द्वारा जिले के प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषण मटके की शुरुआत की गई है। जिसके तहत आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषण मटका रखा जाएगा। जहां पर महिला बाल विकास विभाग द्वारा लोगों से अपील की जाएगी कि इस मटके में पोष्टिक खाद्य पदार्थ डाले जाए, जैसे गेहूं, चना, ज्वार, बाजरा, राजगिरा, मुगने की फली जैसे अनेक चीज लोग मटके में डाल सकते हैं। इसी खाद्य पौष्टिक तत्व से गर्भवती महिला कुपोषित बच्चे को पौष्टिक व्यंजन बनाकर दिए जाएंगे।

दिया जा रहा रेडी टू ईट फूड

Continue Reading

About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।