खंडवा, सुशील विधानी। खंडवा (Khandwa ) शहर के एक राष्ट्रीय कुश्ती (Wrestling) खिलाड़ी ने अपने बच्चों को भी कुश्ती के क्षेत्र में आगे बढ़ाया है। उन्हें भी राष्ट्रीय स्तर का पहलवान बना दिया। एक पिता की भूमिका निभाते हुए उन्होंने अपने बच्चों के साथ कोच के रूप में 50 से अधिक खिलाडिय़ों को भी कुश्ती का प्रशिक्षण प्रतिदिन दे रहे हैं।
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समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि कुश्ती के क्षेत्र में ऋषि कुमार सोनकर ने अपने हुनर का परिचय देते हुए खंडवा,निमाड़ मप्र के साथ ही राष्ट्रीय स्तर की कुश्तियां खेल कर कई पदक हासिल किए। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में पदक लाने पर सरकार ने तोहफे के रूप में उन्हें रेलवे में सीटीआई की पोस्ट पर पदस्थ किया। ऋषि सोनकर रेलवे के कुश्ती कोच भी बने और ड्यूटी के साथ ही उन्होंने कोच की भूमिका निभाते हुए जहां अपने बेटे-बेटियों को कुश्ती के क्षेत्र में आगे बढ़ाया। अपने पुत्र-पुत्रियों के साथ ही पिता की भूमिका निभाते हुए खंडवा के पचास से भी अधिक बच्चों को कुश्ती का प्रशिक्षण देकर उन्हें राष्ट्रीय स्तर के कुश्ती खिलाड़ी बनाने में सक्रियता से लगे हुए हैं।
पहलवान ऋषि सोनकर का सपना था कि एक दिन वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती खेल कर स्वर्ण पदक प्राप्त कर खंडवा व देश का नाम रोशन कर सके। यह सपना उनका अधूरा रह गया। जिसे पूरा करने के लिए उनके पुत्र व पुत्रियां पूरी सक्रियता के साथ कुश्ती क्षेत्र में अपना हुनर दिखा रहे हैं। अपने पिता से कुश्ती की ट्रेनिंग लेकर वे राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तो बन चुके हैं, अब प्रतिदिन अपने पिता से कुश्ती का हुनर सीखते हुए ऑलंपिक में स्वर्ण पदक हासिल करने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं और वह दिन दूर नहीं जब वे अपने पिता की इच्छा को पूरा करते हुए स्वर्ण पदक जीतकर अपने पिता को तोहफा देंगे। ऋषि सोनकर पेशे से रेलवे में सीटीआई है। उन्होंने कई राष्ट्रीय स्तर की कुश्तियां खेली है। अपने बच्चों को भी उन्होंने कुश्ती के क्षेत्र में आगे बढ़ाते सन 2015 में खंडवा के इंदौर स्टेडियम और महाराणा प्रताप व्यामशाला में कुश्ती लडऩे की ट्रेनिंग दी। ऋषि सोनकर के तीन बच्चों के पिता हैं जिनमें एक पुत्र प्रिंस और दो पुत्रियां प्रांजल व अनेरी है जो राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड और अन्य पदकों से सुशोभित हो चुके हैं।