वन विभाग के डिपो में जब्त वाहनों से कलपुर्जे गायब, जिम्मेदार बने अनभिज्ञ

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खंडवा। सुशील विधानी

वनों की सुरक्षा हो या फिर अवैध कटाई , दोनों ही मामलों में वनविभाग द्वारा  वन सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्यवाही की  जाती हैं। ऐसे कई मामले हैं जिसमें वनविभाग द्वारा सैकडों दोपहिया – चारपहिया वाहन भी जब्त किए गए। जब्त वाहनों को डिपो में खड़ा कर दिया  जाता हैं ।इन  वाहनों की सम्पूर्ण जानकारी  जब्त वाहन रजिस्टर में दर्ज की जाती हैं साथ ही उसकी कंडीशन का ब्यौरा भी बकायदा दर्ज रहता हैं।   लेकिन देखा जा रहा हैं जब्त खड़े वाहनों के पुर्जे गायब हो रहे हैं जिसमें टायर , इंजिन एवं कुछ महत्वपूर्ण पुर्जे भी हैं जिनकी मार्केट में कीमत बहुत ज्यादा होती हैं। यही कारण हैं कड़ी सुरक्षा में खड़े वाहनों से पुर्जे गायब होना विभागीय कार्यशैली पर सवाल खड़े करता हैं।आख़िरकार डिपो में खड़े वाहनों से पुर्जे चोरी कैसे हो रहे हैं ? अब सवाल यह उठता हैं कि यह वाहन विभाग द्वारा नीलामी के पूर्व ही इस स्थिति में पहुँच जाते हैं कि इन्हें खरीददार भी नसीब नही होता हैं या फिर जान बूझकर कबाड़ में तब्दील होने के लिये छोड़ दिया जा रहा हैं ।  वही विभागीय कर्मचारी अपने कार्य के प्रति सचेत नही हैं , वे इस मामले अनभिज्ञ बन रहे हैं । इसी मामले से जुड़े नईम खान जो हमेशा ड्यूटी पर शराब पीकर रहते हैं डीएफओ साहब से टेलीफोन पर  अनुशासनहीनता करने पर  उन्हें  तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया निलंबित कर उन्हें अवलिया परिक्षेत्र में  पदस्थ किया गया है  किंतु वे अभी तक खन्डवा रेंज में मुख्यालय पर ही कार्यरत हैं उन्हें अभी तक बाहर मुक्त नहीं किया गया है जो प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है

 डीएफओ संजीव झा यह तो हो ग झा से बात कर पूछने पर बताया गया कि निलंबन की कार्रवाई हुई वह उसे अवलिया  ट्रांसफर कर दिया गया है परंतु वह वहां ज्वाइन हुआ कि नहीं इसकी जानकारी नहीं है निलंबन की प्रोसेस में  होने के बाद  उस व्यक्ति से काम तो वैसे भी नहीं कराया जाता है  इसलिए  हमने  इस विषय में अभी देखा नहीं है कि वह वहां ज्वाइन हुए हैं कि नहीं


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