खंडवा। सुशील विधानि।
आदिवासी विकासखंड खालवा के ग्राम मुहनिया में गर्मी के मौसम में ग्रामीण जल समस्या से इस कद्र त्रस्त हो गए थे कि उन्हें गाँव छोड़ कर पलायन करना पड़ रहा था। मवेशियों को भी पीने तक पानी उपलब्ध नहीं होने से उनकी जान पर बन आती थी। ग्रामीण जीवन अस्तव्यस्त हो गया था। इस स्थति को देखते हुए गाँव की 55 कोरकू महिलाओं के समूह ने ग्राम की लछमी बाई पति फत्तू 50 वर्ष के नेतृत्व में तालाब निर्माण का कार्य शुरू किया था, बारिश के मौसम में तालाब में पानी इकट्ठा हुआ। अब यह तालाब बारिश से लबालब हो गया है। जलस्तर बढ़ने से खेतों को पर्याप्त पानी मिला और फसलें भी लहलहा उठी। अब ग्रामीणों को अपना गांव छोड़कर नहीं जाना पड़ेगा। बताया जाता है कि इस तालाब तालाब को बनाने में एक महिने से अधिक का समय लगा। तालाब बनाने के कार्य में स्पंदन सेवा समिति द्वारा मदद की गई। ग्रामीण महिलाएं प्रतिदिन 5 घंटे तालाब खोदने का काम करती थी, इसके एवज में इन्हें पैसों के स्थान पर अनाज दिया जाता हैं। गाँव में प्रति वर्ष गर्मी के मौसम में स्थति बहुत ही दयनीय हो जाती हैं। इलाके में आस पास कोई नदी या तालाब न होने के कारण पानी की विकट समस्या से अब ग्रामीणों को छुटकारा मिलेगा।
15 मीटर लंबा, 15 मीटर चौड़ा है तालाब….
गांव की महिला लछमी बाई ने बताया कि पानी नहीं मिलने के कारण हमें गांव से पलायन करना पढ़ता है। अब बारिश के पानी को सहज कर रखा जा सकता है। पानी का उपयोग किया जा सकता हैं। पानी की समस्या का नीराकारण हो गया है, अब पलायन नहीं करना पड़ेगा। समिति की सीमा प्रकाश ने ग्रामीणों को तालाब बनवाने के लिए प्रेरित किया और ग्रामीणों को ही तालाब खोदना था। इससे इन्हें रोजगार भी मिला। समिति प्रति व्यक्ति को तलाब की खुदाई करने के एवज में दो किलो चावल, आधा किलो तुअर की दाल ,आधा किलो खाने का तेल दिया। एक महीने में करीब 15 मीटर लंबा, 15 मीटर चौड़ा और 3 मीटर गहरा तालाब खोदा गया।
अब दूर होगी जल समस्या…
समिति की सीमा प्रकाश ने बताया कि इलाके में पानी का कोई अन्य साधन नहीं बचा हैं। पुराने कुऐ थे वह भी सुख गए। उनकी भी सफाई करवाई गई। गांव में तालाब बनने से पानी की समस्या का निराकरण हो गया है। आस पास बने कुओं के जल स्तर में भी बढ़ोतरी हुई है। ग्रामीणों के साथ उनकेे पालतु पशुओं को भी भरपूर मात्रा में पानी मिल रहा है।
मछली पालन भी होगा तालाब में…
यदि तालाब में बारिश का पानी लंबे समय तक टिक जाता है तो इसमें महिलाओं द्वारा मछली पालन का उधोग शुरू किया जावेगा। जिससे सभी को रोजगार मिलेगा। साथ ही उस व्यापार से होने वाले मुनाफे से गांव में दूसरे नए रोजगार के संसाधन खोजे जाएंगे। इससे ग्रामीणों को जीवन जीने के लिए जीविका प्राप्त होगी।