पानी न मिलने पर महिलाओं ने किया चक्का जाम,पार्षद को सुनाई खरी खोटी

Gaurav Sharma
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खंडवा, सुशील विधाणी। नगर निगम के अंतर्गत आने वाले वार्ड क्रमांक 4 स्थित माता चौक क्षेत्र में पिछले 2 हफ्ते से पानी की समस्या को लेकर परेशान लोगों का आक्रोश बुधवार की सुबह अचानक फूट पड़ा। आक्रोशितों ने सडक़ पर बर्तन रखकर चक्काजाम कर दिया और नगर निगम प्रशासन और पार्षद के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करने लगे। सूचना मिलने पर नगर निगम के अधिकारी मौके पर पहुंचे और चक्काजाम करने वालों को समझाईश दी। लेकिन आक्रोशित पानी की समस्या को लेकर जिद पर अड़े हुए थे। अधिकारियों द्वारा एक दिन में समस्या का निराकरण कराए जाने का आश्वासन दिए जाने के दो घंटे बाद ही जाम खुल सका।

जिले में नर्मदा जल योजना के नाम पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने करोड़ों रुपए खंडवा जिले को दिए है, उसके बावजूद भी शहर के कई वार्डों में पानी नहीं मिल पा रहा है। उसी का नतीजा है कि माता चौक मार्ग पर पानी की आपूर्ति नहीं होने पर महिलाओं ने सड़कों पर चक्का जाम कर दिया। माता चौक की महिलाओं ने करीब दो घंटे तक सड़क बंद रखी, जिससे चलते सड़क के दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार लग गई। मामले की जानकारी जब सिटी कोतवाली पुलिस को लगी तो वह भी मौके पर पहुंच गई और तुरंत नगर निगम की टीम ने मोर्चा संभालते हुए महिलाओं से अपनी बात रखी, लेकिन महिलाएं मानने को तैयार नहीं थी, उन्होंने पार्षद को भी खरी-खोटी सुनाई।

सुबह 10 बजे करीब सैकड़ों महिलाएं सडक़ पर बर्तन रखकर प्रदर्शन करने लगी। आक्रोशितों का कहना था कि, पाइप लाइन में कभी-कभार ही पानी आता है और जब भी आता है तो वह काफी गंदा होता है। पानी की समस्या को लेकर उनके द्वारा कई बार नगर निगम के अधिकारियों से गुहार लगाई गई है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। इसी दौरान अधिकारियों के निर्देश पर निगम कर्मचारियों द्वारा तत्काल प्रभाव से पानी की लाइन में काम शुरु कराया तब जाकर आक्रोशित माने और सुबह 11 बजे जाम खोला।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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