फसल खराबी का मुआवजा न मिलने से पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह नाराज, एसडीएम को लिखा पत्र

Gaurav Sharma
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राजगढ़,डेस्क रिपोर्ट। पूर्व ऊर्जा मंत्री एवं ख़िलचीपुर विधायक प्रियव्रत सिंह ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के कार्यक्रम शामिल न होते हुए अपना विरोध दर्ज किया है। उनका यह विरोध अपने क्षेत्र के किसानों को फसल नुकसानी पर मुआवजा न दिए जाने को लेकर है। मंत्री के मुताबिक उनके इलाके में बड़े पैमाने पर फसलों का नुकसान हुआ है और इससे कई किसान प्रभावित हुए हैं लेकिन इसके बावजूद उन्हें कोई मुआवज़ा राशि नहीं दी जा रही है।

इस बारे में पूर्व मंत्री ने खिलचीपुर एसडीएम को पत्र लिखकर कहा है कि उनकी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत इस साल की खरीफ़ की फसल की मुआवजा राशि में अधिकारियों द्वारा लापरवाही की गई। उन्होंने इस मामले में अधिकारियों की मिलीभगत की भी बात कही है।  प्रियव्रत सिंह के मुताबिक तहसील खिलचीपुर एवं जीरापुर के किसान सम्मान निधि से पूरी तरह वंचित रह गए हैं। जबकि अतिवृष्टि एवं अफलन से सोयाबीन मक्का में तिल्ली जैसी फसलों को भारी नुकसान हुआ था।

फसल खराबी का मुआवजा न मिलने से पूर्व मंत्री प्रियव्रत सिंह नाराज, एसडीएम को लिखा पत्र

राजगढ़ जिले के सारंगपुर तहसील को छोड़कर अन्य पांच तहसील खिलचीपुर, जीरापुर, ब्यावरा, राजगढ़, नरसिंहगढ़ एवं पचोर के किसानों को खरीफ की फसल के नुकसान का मुआवजा प्राप्त नहीं हुआ है। पूर्व मंत्री ने उनके इलाके के किसानों के साथ हुए इस तरह के भेदभाव की निंदा की है। प्रियव्रत सिंह ने पत्र में लिखा है कि मैं प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना अंतर्गत राशि वितरण कार्यक्रम में अनुपस्थित रहकर किसानों के समर्थन में इस कार्यक्रम का विरोध करता हूं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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