भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। भारत का दिल कहे जाने वाला मध्य प्रदेश (Madhya pradesh) राज्य आज 1 नवंबर को अपना 66वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस राज्य की स्थापना 1 नवंबर 1956 को हुई थी। आज स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदेश भर में रंगा-रंग कार्यक्रम की प्रस्तुति होगी। जगह-जगह सरकारी इमारते सजीं हैं और प्रदेश की राजधानी भोपाल में हर वर्ष की तरह इस साल भी खास कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस बार का स्थापना दिवस ‘आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश’ के थीम पर मनाया जा रहा है। आज (1 नवंबर) को भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में शाम 6.30 बजे से कई कार्यक्रमों के साथ प्रारंभ होगा जिसमें बॉलीवुड के मशहूर प्लेबैक लिंगर मोहित चौहान गीतों की प्रस्तुति देंगे साथ ही दिल्ली के कोरियोग्राफर मैत्री पहाड़ी के निर्देशन में 275 कलाकार नृत्य-नाटक की प्रस्तुति देंगे।
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कैसे बना मध्य प्रदेश
असल में 1 नवंबर की तारीख भारत के इतिहास में बहुत महत्व रखती है क्योंकि इसी दिन सालों पहले देश के विभिन्न राज्यों का भाषा के आधार पर पुनर्गठन करने का फ़ैसला लिया गया था। 1 नवंबर के दिन साल 1956 से लेकर साल 2000 तक भारत के 6 अलग-अलग राज्यों का जन्म हुआ था जिसमें मध्य-प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक और केरल शामिल हैं। बात करें मध्यप्रदेश की तो ये भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य था जिसकी स्थापना करना भारत सरकार के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण रहा। दरअसल देश के कुछ हिस्सों को छोड़कर सभी जगह 26 जनवरी 1950 में भारत का संविधान लागू किया गया था। साल 1951-1952 में देशभर में पहले आम चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो गई थी। 1956 में राज्यों के पुर्नगठन का सिलसिला चल रहा था। 4 प्रान्त- मध्य प्रांत, पुराना मध्य प्रदेश, विंध्य प्रदेश और भोपाल को जोड़कर ही एक राज्य बनाने को लेकर काफी अटकलें आ रही थी, लेकिन असल में इन बड़े प्रान्तों में रहने वाली जनता अलग-अलग विचार, जीवनशैली, खान-पान, रहन-सहन, लोक संस्कृति और आचार-विचार की थी, जिसके बाद काफी विचार-विमर्श के बाद आखिरकार 1 नवंबर को मध्य-प्रदेश बना। तभी से 1 नवंबर का दिन प्रदेश के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। नक्शे के बीच में होने से इसे पहले मध्य भारत के नाम से जाना जाता था। 1 नवंबर,1956 को मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर पं.रविशंकर शुक्ल का लाल परेड ग्राउंड पर पहला भाषण हुआ था।
ऐसे बनी भोपाल राजधानी
मध्य प्रदेश की राजधानी की रेस में भोपाल (bhopal), जबलपुर (jabalpur), इंदौर (indore), और ग्वालियर (gwaliar) सभी अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे। उस समय भोपाल में भवनों की संख्या जबलपुर से ज्यादा थी इसलिए यह पहली पसंद बन गया। यहां न ज्यादा गर्मी और ना ही ज्यादा सर्दी होती थी, यहां ज्यादा बारिश होने के बाद बाढ़ जैसे हालात भी नहीं आते थे वहीं अन्य राज्यों में यह दिक्कत देखने को मिलती रहती थी। यह एक सामन्य क्षेत्र था। जिस तरह मध्यप्रदेश देश के बीचों बीच स्थित है उसी तरह भोपाल भी मध्यप्रदेश के मध्य स्थित है। 1972 में इसे जिले का दर्जा दिया गया।