उज्जैन में महाकालेश्वर की शाही सवारी सदियों पुरानी परंपरा का एक हिस्सा है, जो हर वर्ष सावन और भाद्रपद के महीने में बड़ी धूमधाम निकाली जाती है। वहीं इस बार, भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अमावस्या, जिसे सोमवती अमावस्या के रूप में भी जाना जाता है, 2 सितंबर को महा नक्षत्र और शिव योग के दुर्लभ संयोग के साथ आई।
दरअसल यह खास संयोग हर तीन-चार साल में एक बार ही बनता हुआ दिखाई देता है। जानकारी के अनुसार जब सोमवती अमावस्या के दिन महाकालेश्वर की शाही सवारी निकाली जाती है। वहीं इस विशेष अवसर पर, महाकालेश्वर भगवान छह विभिन्न रूपों में भक्तों को दर्शन देंगे। बता दें कि इस सवारी में हजारों श्रद्धालु भाग लेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपनी पत्नी संग पहुंचे महाकाल मंदिर
जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपनी पत्नी के साथ महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे और भगवान महाकाल की पूजा अर्चना की। वहीं मुख्यमंत्री के इस दौरे के दौरान, उज्जैन के कलेक्टर नीरज सिंह ने उन्हें शॉल और श्रीफल भेंट किए। दरअसल पूजा के बाद, मुख्यमंत्री ने महाकालेश्वर की शाही सवारी के आयोजन की तैयारियों का निरीक्षण किया।
4 बजे से ही भक्त शिप्रा नदी में स्नान करने के लिए पहुंचे
सोमवती अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है, विशेषकर जब यह सोमवार के दिन पड़ती है। बता दें कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पाप मिट जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं इस खास मौके पर, उज्जैन की शिप्रा नदी, जबलपुर के नर्मदा घाट, नर्मदापुरम के ग्वारीघाट और ओंकारेश्वर में श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ देखने को मिलती है। दरअसल सुबह 4 बजे से ही भक्त इन पवित्र स्थलों पर स्नान करने के लिए पहुंचने लगे। स्नान के बाद, श्रद्धालु महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने के लिए गए, जहां भगवान महाकाल के दर्शन का विशेष महत्व है।
महाकाल की शाही सवारी का मार्ग
जानकारी के अनुसार महाकाल की शाही सवारी का मार्ग 7 किलोमीटर लंबा होगा, जो उज्जैन के प्रमुख मार्गों से होते हुए महाकाल मंदिर से प्रारंभ होकर विभिन्न स्थानों पर जाएगी। दरअसल शाम 4 बजे महाकाल भगवान नगर भ्रमण के लिए प्रस्थान करेंगे और भक्तों को 6 अलग-अलग रूपों में दर्शन कराएंगे। यह भव्य यात्रा लगभग 6 घंटे तक चलेगी और रात 10 बजे महाकाल मंदिर पर समाप्त होगी।