Wed, Dec 31, 2025

आख़िर मिल ही गई संजीवनी बूटी, मंदसौर के अभ्यारण्य में वनस्पति विशेषज्ञों ने खोजी

Written by:Harpreet Kaur
Published:
आख़िर मिल ही गई संजीवनी बूटी, मंदसौर के अभ्यारण्य में वनस्पति विशेषज्ञों ने खोजी

भानपुरा,राकेश धनोतिया। मंदसौर जिले के गांधी सागर अभयारण्य में वनस्पति विशेषज्ञ डॉक्टर परवेज खान (रिसर्च स्कॉलर, महाराजा श्री राम चंद्र भांजा भांजा देव विश्वविद्यालय ओडिसा) एवं सुभद्रा बारिक ने 6 लोगों की टीम के साथ वनस्पति व जड़ी बूटी पौधों का सर्वे किया जिसमें श्रीराम के अनुज लक्ष्मण जी के प्राण बचाने वाली संजीवनी “अग्निशिखा” का पौधा मिला है।

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संजीवनी बूटी “अग्निशिखा” यानी विषलया का पौधा। धार्मिक मान्यता है कि रामायण काल में लक्ष्मण जी के प्राण बचाने में इस औषधि का उपयोग किया गया था।अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध गांधी सागर अभयारण्य में पहली बार वनस्पतियों का सर्वे हुआ। जिसमें 502 से अधिक प्रजातियां मिली है। जिनमें से 300 से अधिक औषधीय हैं और 70 प्रजातियां ऐसी हैं जो विलुप्त मानी जाने वाली है। इसके अतिरिक्त ब्रीमेक प्लांट, दूधी, निर्गुंडी, गुरमार भी पाए गए हैं।

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वही इस सर्वे से पहले वन विभाग के पास गांधीनगर में केवल 48 पेड़ पौधों की प्रजातियों का ही डाटा था।डॉ परवेज खान ने बताया कि गांधी सागर अभयारण्य में कई औषधीय पौधों में मूल्यवान रासायनिक पदार्थ पाए जाते हैं जो कि बहुत उपयोगी हैं। यहां विस्तृत अध्ययन की जरूरत है औषधीय प्रजातियों का एक उचित दस्तावेज होना और स्वास्थ्य व स्वच्छता में सुधार के लिए उनकी क्षमता को जानना जरूरी है।