सैनिक सम्मान के साथ हुआ शहीद का अंतिम संस्कार, नम आंखों से दी विदाई

Atul Saxena
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मुरैना, संजय दीक्षित। मुरैना निवासी सीआरपीएफ (CRPF) के हवलदार वकील सिंह की दिल्ली मंत्रालय में गोली मारकर हत्या कर दी गयी। हवलदार वकील सिंह (HC vakil singh) के शरीर में जवान अमन सिंह ने करीब 7 गोली मारी जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गयी। बताया जाता है कि वकील सिंह का उनके ही साथी जवान अमन सिंह से किसी बात पर झगड़ा हो गया। झगड़ा इतना बढ़ गया कि अमन ने हवलदार (मेजर) वकील सिंह पर 7 गोलियां बरसा दी जिससे उनकी मौत हो गयी। सूचना मिलते ही परिजन दिल्ली पहुंचे और आज बुधवार को शव के लेकर मुरैना पहुंचे।

मेजर वकील सिंह के शव को दिल्ली से लाकर मुरैना रेस्ट हाउस में रखा गया उसके बाद शव को घर ले जाते समय जौरा रोड पर परिजनों ने चक्काजाम लगा दिया। परिवार वाले वकील सिंह के शव को देखकर आक्रोशित हो गए और उनकी मांग थी कि हवलदार वकील सिंह को शहीद का दर्जा दिया जाये और उनके नाम से एक पार्क खोला जाये। काफी मशक्कत के बाद समझा-बुझाकर जाम को खोला गया। मौके पर पहुंचे एसडीएम ने वकील सिंह के नाम से पार्क खोलने की अनुमति दी उसके बाद कहा के आगे की कार्रवाई केंद्र सरकार की तरफ से की जाएगी। शहीद का दर्जा देना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी होती है। उसके बाद शहीद के शव को घर पर पहुंचाया गया।

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अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया करने के बाद गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।  सैनिक टुकड़ी ने सशस्त्र सलामी देते हुए मेजर वकील सिंह को अंतिम विदाई दी। सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों, पूर्व विधायक और परिवारजनों ने फूल माला पहनाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। सीआरपीएफ के अधिकारियों ने मेजर वकील सिंह के पुत्र को राष्ट्रीय ध्वज सौंपा । वकील के शव को प्रेमनगर में राजकीय सम्मान के साथ उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान सीआरपीएफ के जवान और प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा भारी संख्या में स्थानीय लोगों की भीड़ शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए उमड़ पड़ी। सभी लोगों ने नम आंखों से भारत के सपूत को श्रद्धांजलि दी।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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