MCU घोटाला : पूर्व कुलपति सहित 20 प्रोफेसरों की झोली में आई बड़ी राहत, EOW ने दी क्लीन चिट

Gaurav Sharma
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भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। बहुचर्चित माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय (Makhanlal Chaturvedi University) घोटाले (Scam) में एक नया मोड़ सामने आया है, जहां पूर्व कुलपति बीके कुठियाला सहित सभी प्रोफेसरों को ईओडब्ल्यू (EOW) द्वारा क्लीन चिट (Clean Chit) दे दी गई है। ईओडब्ल्यू ने दर्ज की गई एफआईआर की क्लोजर रिपोर्ट जिला न्यायालय में पेश की, जिसमें बता गया की आरोपियों के विरुद्ध लगाए गए अपराध सिद्ध नहीं हुए हैं।

दरअसल कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) के 15 महीने के कार्यकाल के दौरान पूर्व कुलपति प्रोफेसर बीके कुठियाला (Former Vice Chancellor Professor BK Kuthiala) और अन्य 20 प्रोफेसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज (FIR) की गई थी। ईओडब्ल्यू यानी कि आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (Economic Offences Wing) ने रजिस्ट्रार दीपेंद्र सिंह की जांच रिपोर्ट के आधार पर यह एफ आई आर दर्ज की थी। इस मामले में पूर्व कुलपति बीके कुठियाला से यू डब्ल्यू द्वारा पूछताछ की गई थी परंतु उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। वहीं अब जो क्लोजर रिपोर्ट को डब्ल्यू द्वारा जिला न्यायालय में पेश की गई उसमें सभी आरोपियों पर लगे आरोप सिद्ध नहीं हो सके हैं जिसके चलते सभी को क्लीन चिट मिल गई है

बता दें कि साल 2020 19 जनवरी को बृज किशोर कुठियाला की नियुक्ति (appointment)  की गई थी जिन पर आरोप था कि इन्होंने आरएसएस से जुड़े लोगों को अपने 8 साल के महीने के कार्यकाल में काफी फायदा पहुंचाया है। बीके कुड़िया ले पर आरोप लगाया गया कि इन्होंने खुद तो लंदन की यात्रा की ही है इसके साथ ही यूनिवर्सिटी के खर्च पर अपनी पत्नी को भी यात्रा कराई जिसको 5 महीने बाद एडजस्ट किया गया

वही विश्वविद्यालय के खर्च पर ऐसे तेरा टूर किए गए हैं जिसमें प्रशासनिक और वित्तीय नियमों का सीधे तौर पर उल्लंघन किया गया था। इतना ही नहीं बीके कुठियाला द्वारा स्वास्थ्य संबंधी फायदा भी उठाया गया बीके कुठियाला पर आरोप था कि उन्होंने अपनी ब्लड सर्जरी और आंख के ऑपरेशन के लिए भुगतान भी विश्वविद्यालय के खर्चे पर किया है। वही विश्वविद्यालय के पैसे से महंगी शराब खरीदने का भी आरोप बीके कुठियाला पर लगा था

  • डॉ. पी. शशिकला पर आरोपा था कि उन्हें तीन बार प्रमोशन दिया गया  जो नियम विरुद्ध है।
  • डॉ. अनुराग सीठा पर फर्जी तरीके से नियुक्ति होने का आरोप लगाया गया था।
  • डॉ. अविनाश वाजपेयी पर आरोप था कि उनकी Phd पर्यावरण में है और उन्हें प्रबंधन विभाग में प्रोफेसर और विभाग अध्यक्ष बना दिया गया।
  •  डॉ. पवित्र श्रीवास्तव पर आरोप था कि वो कुठियाला के कार्यकाल में प्रोफेसर बनाय गए है।
  • डॉ. मोनिका वर्मा जिन्हें नोएडा कैंपस भेजा गया उनका अनुभव कम होने के बाद भी पहले तो उन्हें रीडर बनाया गया और फिर प्रोफेसर बना दिया गया।
  • डॉ. अरुण कुमार भगत जिन्हें नोएडा कैंपस से भोपाल कैंपस लाया गया था उन पर आरोप लगे थे कि वो दो साल के संविलियन पर वापस दिल्ली लौट गए।
  •  प्रो. संजय द्विवेदी पर आरोप था कि उन्हें बिना पीएचडी  के ही  प्रोफेसर बना दिया गया।
  • वहीं डॉ. कंचन भाटिया पर फर्जी नियुक्ति का आरोप मथा गया।
  • डॉ. मनोज कुमार पचारिया पर भी फर्जी नियुक्ति का आरोप लगाया गया।
  • डॉ. आरती सारंग पर आरोप लगाया गया कि उनके पास योग्यता नहीं होने के बाद भी उन्हें प्रोफेसर की रैंक दे दी गई।
  •  डॉ. रंजन सिंह पर आरोप था कि उन्हें आरक्षण के तहत गलत तरीके से नियुक्ति दी गई थी।
  • वहीं स्वार्गीय सुरेंद्र पाल का तबादला नोएडा कैंपस में किया गया था पर उन्हें गलत तरीके से आरक्षण का लाभ दिया।
  •  डॉ. सौरभ मालवीय को विवादित तरीके से नियुक्ति देने का आरोप था।
  • सूर्य प्रकाश- नियमों के खिलाफ नियुक्ति में आरक्षण का लाभ दिया।
  • प्रदीप कुमार डहेरिया पर आरोप था कि विवि में काम करते हुए उन्होने बिना पढ़ाई किए पत्रकारिता की नियमित डिग्री ली।
  • सतेंद्र कुमार डहेरिया पर आरोप था कि उन्होंने बगैर स्टडी लीव लिए पत्रकारिता की डिग्री हासिल की।
  •  गजेंद्र सिंह अवश्या ने नौकरी के दौरान डिग्री ली।
  • डॉ. कपिल राज चंदोरिया की डिग्री संदिग्ध है।
  • वहीं रजनी नागपाल पर आरोपा था कि उनके पास पत्रकारिता की डिग्री न होते हुए भी उन्हें नियुक्ति दी गई।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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