मुरैना : ठंड में किसानों को दी पाले से फसलों के बचाव की सलाह

Amit Sengar
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मुरैना, डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश के कई जिलों में शीत लहर शुरू हो गई हैं, जिसके कारण तापमान में गिरावट दर्ज को देखते हुए हुए रबी फसलों में पाला पड़ने की संभावना बन रही है। इसीलिए किसानों को अभी से अपनी फसलों को बचाने की चिंता सताने लगी है। क्योंकि सर्दी बढ़ी तो फसलों पर पाला पड़ने की आंशका भी बढ़ जाती है, जिससे रबी की फसलों को काफी नुकसान पहुंच सकता है।

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बता दें कि किसान कल्याण तथा कृषि विकास द्वारा कृषक बंधुओं को सलाह दी है कि मौसम विभाग द्वारा पाले की चेतावनी दी गई हो तो तब आप पाले से बचाव के लिए फसल में हल्की सिंचाई कर दें। जिससे तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और पर्याप्त नमी होने से फसलों में नुकसान की संभावना कम होती है। जिससे फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। और पाला होने की स्थिति में शाम के समय खेत की मेड़ पर धुआँ करें और सिंचाई शाम-रात्रि के समय करें, इसके अलावा सल्फर का 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें या नहीं तो पाला लगने के तुरंत बाद यानी अगले दिन प्रातः काल ग्लूकोन डी 10 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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दरअसल, सर्दी के मौसम में पौधों की कोशिकाओं में उपस्थित पानी सर्वप्रथम अंतरकोशिकीय स्थान पर इकट्‌ठा हो जाता है। जिससे कोशिकायें फट जाती है यह दबाव अधिक होने पर कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। परिणास्वरूप फसलों में भारी क्षति हो जाती है। बता दें कि पाले के प्रभाव से पौधों की कोशिकाओं में जल संचार प्रभावित होता है। जिससे फसल अथवा पौधे का बहुभाग सूख जाता है, जिससे रोग एवं कीट का प्रकोप बढ़ जाता है। पाले के प्रभाव से फल और फूल नष्ट हो जाते है। और पाले के प्रभाव से सब्जिया अधिक प्रभावित होती है एवं पूर्णतः नष्ट हो जाती है। जिले के समस्त कृषक बंधुओं को सलाह दी गई है कि उपरोक्तानुसार अपनी फसलो को पाला से बचाव के उपाय अपनायें।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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