मुरैना, नितेंद्र शर्मा। मुरैना जिले में कई ग्राम पंचायतों की हालत खस्ता है। यहां पर सरपंचों सचिवों एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा गांव के विकास के लिए जो कार्य किए जाने चाहिए, उनकी बस खानापूर्ति की जा रही है। ऐसा ही मामला सामने आया पोरसा महुआ ग्राम में। यहां आंगनवाड़ी सहायिका साधना उपाध्याय पिछले तीन साल से आंगनवाड़ी आई ही नहीं। उन्होने गांव की एक महिला को हजार रूपये महीने पर अपने स्थान पर आंगनवाड़ी जाने के लिए रखा हुआ है।
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महुआ गांव की आंगनवाड़ी में कार्यरत सहायिका ने आंगनवाड़ी की शक्ल तक नही देखी है। आलम ये है कि उन्होने आंगनवाड़ी का सारा कार्य उसी गांव की एक गरीब महिला को सौंप रखा है जो पिछले 3 वर्षों से उनकी जगह काम कर रही हैं। आंगनवाड़ी को लेकर कई लोग अलग अलग शिकायत कर चुके हैं। कुछ लोगों की शिकायत तो 181 सी एम हेल्पलाइन पर भी चल रही हैं लेकिन परियोजना अधिकारी ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया है। इससे तो यही अंदेशा लगाया जा सकता है कि कहीं न कहीं इसमें संबंधित अधिकारियों की भी मिलीभगत है।
आंगनवाड़ी सहायिका का पति महुआ पंचायत में रोजगार सहायक है और इलाके में उसका काफी दबदबा है। हालत ये है कि पति-पत्नी दोनों की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। कई लोगों की पेंशन अभी तक नहीं जारी की गई है। जो लोग दिव्यांग हैं उन्हें डबल पेंशन मिलनी चाहिये, उनको अभी सिंगल पेंशन ही मिल रही है। इसी के साथ और भी कई तरह की गड़बड़ियों की शिकायत लगातार सामने आ रही हैं। गांववालों का कहना है कि उनके गांव में कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है। दोनों पति पत्नी मिलकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं और शिकायत करने पर भी अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे।