Morena News : हमारे समाज में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है, क्योंकि वही एक ऐसा शख्स है, जो किसी को मौत के मुंह में जाने से बचा सकता है। तिल-तिल मरते किसी इंसान को जिंदगी दे सकता है लेकिन बिना डिग्री के झोलाछाप डॉक्टरों से तो भगवान ही बचाए ऐसे डॉक्टरों का कारोबार दिन प्रतिदिन गांव में फैलता ही जा रहा है इलाज के बाद मरीज का क्या होगा यह इन्हें भी नहीं मालूम, ऐसा ही एक मामला मुरैना जिले के पहाड़गढ़ ब्लॉक पंचायत के माधौगढ का है जहाँ एक झोलाछाप डॉक्टर ने मासूम जिंदगी को खराब कर दिया है।
यह है पूरा मामला
बता दें कि दिनेश पुत्र प्रीतम सिंह धाकड़ निवासी माधौगढ़, पहाड़गढ़ रोड, मुरैना को 1 साल पहले पेट में दर्द उठा था बेटे के पेट में दर्द से माता-पिता घबरा गए और घर के पास ही में प्रैक्टिस करने वाले एक झोलाछाप डॉक्टर सुनील धाकड़ के पास उसे इलाज के लिए ले गए। इस दौरान सुनील धाकड़ ने बच्चे को देखकर उसे इंजेक्शन लगा दिया इंजेक्शन लगने के बाद दीपेश के बाएं पैर में दर्द होने लगा देखते ही देखते पैर की सारी नसें फूल गई इसके बाद कुछ समय बाद पैर ने काम करना बंद कर दिया घबराए हुए मां-बाप ने बेटे का पैर खराब होने पर उसका दिल्ली में इलाज कराया।
डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी परंतु ऑपरेशन के बाद भी पैर सही नहीं हो पाया, बच्चे के मां बाप ने ऑपरेशन में 8 से ₹10लाख खर्च कर दिए परंतु कोई हल नहीं निकला सुनील धाकड़ जो कि एक झोलाछाप डॉक्टर है उसकी शिकायत परिजनों ने चार बार कलेक्ट्रेट में की मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। यह मामला सीएमएचओ डॉ राकेश शर्मा के सामने आया लेकिन जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने भी इस मामले में लापरवाही बरतना उचित समझा, 12 साल का यह दीपेश अब जिंदगी भर बैसाखियों के सहारे ही चलेगा ऑपरेशन मे हुआ खर्चा जोकि उसके मां बाप ने कर्ज लेकर करवाया था अब जिंदगी भर उन पैसों को भी भरपाई करनी पड़ेगी उस झोलाछाप डॉक्टर से ज्यादा प्रशासन के उच्च अधिकारियों की गलती है अगर वह समय पर झोलाछाप डॉक्टर को हिरासत में ले लेते तो दूसरों की जिंदगी खराब होने से बच जाती है।
मुरैना से नितेंद्र शर्मा की रिपोर्ट