Morena News: मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। इसका सही कारण क्या है, इस बारे में कुछ कहा नहीं जाता है। लेकिन मुरैना के शासकीय स्कूलों की स्थिति देखकर शिक्षक के रवैये को आप दोष दे सकते हैं। शासकीय स्कूलों में नियुक्त किये शिक्षक स्कूल से ज्यादा इंस्टिट्यूट और कोचिंग में पढ़ाना ज्यादा पसंद करते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक मुरैना के ज्यादातर सरकारी स्कूलों में छात्रों की तादाद प्राइवेट स्कूलों की तुलना में बहुत कम है। सरकार जिन शिक्षकों को इन बच्चों को पढ़ाने के लिए इन स्कूलों में नियुक्त करती है, वही शिक्षक इन बच्चों को पढ़ाने की बजाए कोचिंग सेंटरों में अपना समय दे रहे हैं। जिले में अधिकांश इंटीरियर स्कूलों की हालत शहर के शासकीय स्कूलों से भी बुरी है। वह कैसे हम आपको बताते हैं जितने भी इंटीरियर के शासकीय स्कूल है। इससे कोई फ्रक नहीं पड़ता कि स्कूल माध्यमिक या उच्च। दोनों ही प्रकार के विद्यालयों में शिक्षकों की मौजूदगी कम ही होती है।
स्कूलों में कुछ शिक्षक दूसरे राज्य-जिले से आते हैं। ऐसे शिक्षक जो दूसरे शहर से आते हैं और स्कूल को समय देकर वापस चले जाते हैं। कुछ तो ऐसे हैं जो कई दिन तक स्कूल में दिखते ही नहीं। हालांकि सरकार के सख्त निर्देश है कि कोई भी शासकीय कर्मचारी अपना गृह-जिला नहीं छोड़ सकता।
प्रशासन और सरकार की आंखों में धूल झोंक कर कई शिक्षक अपनी मनमानी कर रहे हैं। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ए.के पाठक ने मीडियाकर्मियों को बताया कि, ” ऐसे शिक्षकों की हमने एक सूची तैयार की है, जो अप- डाउन करते हैं और उन पर कार्यवाही करने की भी तैयारी चल रही है।” उन्होनें यह भी कहा, “प्राइवेट स्कूलों का भविष्य तो फल-फूल रहा है, परंतु शासकीय स्कूल जिन्हें हमारे और आपके दिए गए टैक्स के पैसों से चलाया जाता है आखिर उनका क्या भविष्य है? यहाँ पढ़ने वाले विद्यार्थियों का क्या आगे चलकर कैसा भविष्य होगा?”
मुरैना से नितेन्द्र शर्मा की रिपोर्ट