हत्या के मामले में फरार आरोपी को पकड़ने गयी पुलिस पार्टी पर उपद्रवियों ने किया हमला, दो आरक्षक घायल

Gaurav Sharma
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मुरैना, संजय दीक्षित।मुरैना जिले में अपराधियों के हौंसले इतने बुलन्द हैं कि खाकी वर्दी पर हमला करने से भी नही चूक रहे हैं।जिसमे आज ऐसा ही एक मामला दिमनी थाना क्षेत्र के जखोना गाँव के बघ पुरा का हैं जिसमे आरोपी को पकड़ने गई पुलिस पार्टी पर हमला किया है।जिसमें पुलिस के दो आरक्षक गंभीर रूप से घायल हुए हैं।थाना प्रभारी के नेतृत्व में आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस की टीम रवाना की गई थी।

आरोपी हत्या के मामले में फरार चल रहे था।जिसे पकड़ने के लिए जखोना के बघ पुरा गाँव मे पुलिस पार्टी को भेजा गया था।पुलिस ने आरोपी को पकड़ने की कोशिश की तो उपद्रवियों ने एकराय होकर हमला कर दिया ।जिसमें आरक्षक विक्रम तोमर और लोकेंद्र तोमर गंभीर रूप से घायल हो गए।घायलों को उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।जहाँ डॉक्टर ने गंभीर हालत को देखते हुए एक आरक्षक को ग्वालियर के लिए रेफर कर दिया हैं।

वहीं सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक सहित भारी पुलिस बल अस्पताल में पहुँच गया।वहीं इस पूरे मामले में पुलिस अधीक्षक अनुराग सुजानिया का कहना है कि जखोना गांव के पास एक 302 के आरोपी प्रदीप तोमर को पुलिस पार्टी ने हिरासत में ले लिया था तभी गांव के कुछ उपद्रवियों ने पुलिस पार्टी पर हमला कर दिया ।जिसमें दो आरक्षक घायल हो गए।दोनो आरक्षक खतरे से बाहर हैं। उनका उपचार किया जा रहा है।उपद्रवियों के खिलाफ मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश की जा रही हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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