Morena Crime News : मध्य प्रदेश (MP) की पुलिस दबंगों के सामने कितनी लाचार है या यूँ कहें कि दबंगों को पुलिस का भय ही नहीं है, ये कोई कही सुनी बात नहीं है, एक वायरल वीडियो के आधार पर हम आपसे ये कह रहे हैं, ये वायरल वीडियो है चंबल के अंचल के मुरैना जिले का, जिसमें कुछ लोग बंदूकें लेकर फायरिंग करते दिखाई दे रहे हैं, शिकायत के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
चंबल के मुरैना जिले में लोग किस तरह बेख़ौफ़ होकर खुलेआम फायरिंग करते हैं इसका ताजा उदाहरण एक वायरल वीडियो है, जिसमें कई लोग हाथों में बंदूक सहित अन्य हथियार लेकर ताबड़तोड़ फायरिंग करते दिखाई दे रहे हैं, बताया जा रहा है कि जमीनी विवाद को लेकर प्रॉपर्टी डीलर्स के दो गुटों के बीच जमकर ताबड़तोड़ फायरिंग हुई है। घटना सिविल लाइन थाना क्षेत्र स्थित द्वारिका धाम कॉलोनी की है। पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायत पर क्रॉस मामला दर्ज कर लिया है।
जानकारी के अनुसार मुरैना शहर के अम्बाह बाईपास रोड पर प्रोपर्टी डीलर हरीश परमार द्वारिका धाम कॉलोनी के नाम से नई कॉलोनी बसा रहे हैं। बताया जा रहा है कि रविवार को हरीश परमार अपने साथियों के साथ द्वारिका धाम कॉलोनी में बैठा हुआ था, तभी प्रॉपर्टी डीलर सचिन सिकरवार वहां पर अपने कुछ हथियारबंद साथियों को लेकर पहुंच गया। उसने आते ही फायरिंग शुरू कर दी। अचानक फायरिंग होते ही जवाब में हरीश परमार और उसके साथियों ने भी जवाबी फायरिंग शुरू कर दी। कहा जा रहा ही कि दोनों ओर से करीब 15 से 20 राउंड फायरिंग हुई। जवाबी फायरिंग होने के बाद सचिन सिकरवार अपने साथियों को लेकर वहां से चला गया। गनीमत ये रही कि गोली किसी को नहीं लगी और इस फायरिंग में कोई घायल नहीं हुआ।
फायरिंग का लाइव घटनाक्रम कॉलोनी में लगे एक CCTV कैमरे में कैद हो गया, सचिन के जाने के बाद हरीश परमार ने इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना पर सिविल लाइन थाना प्रभारी प्रवीण सिंह चौहान मौके पर पहुंचे। पुलिस ने मौके से गोलियों के खाली खोखे बरामद किए। घटना के कुछ देर बाद दोनों पक्ष पुलिस थाने पहुंचे। पुलिस ने दोनों की शिकायत पर दोनों पक्षों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
कभी डकैतों की बंदूकों से कांपने वाले चंबल के इलाके में आज भी बंदूक की आवाज सुनाई देती है, चंबल के भिंड और मुरैना में कंधे पर बंदूक या फिर कमर में पिस्टल एक शौक बन गया है, प्रदेश में सबसे ज्यादा लाइसेंसी हथियार भी चंबल अंचल में ही हैं, अवैध हथियारों को कोई अधिकृत आंकड़ा संभव ही नहीं है। अब ये समझ से परे है कि पुलिस इस तरह के घटनाक्रमों पर अंकुश क्यों नहीं लगा पाती।