MP News: मध्यप्रदेश में पुलिस विभाग की जो अवस्था है वह कितनी दयनीय है इस बात का अंदाजा समय-समय पर सामने आने वाली तस्वीरें अपने आप कर ही देती है। किस तरह से अधिकारी अपनी सुविधा के मुताबिक थानों का बंटवारा करते हैं, इसका एक ताजा मामला हाल ही में मुरैना से सामने आया है।
MP के थानों का हाल बेहाल
जिले के थानों में जितने भी थानाधिकारी और निरीक्षक हैं वह लाइनों में दिखाई दे रहे हैं और उन्होंने सारे काम की कमान उप निरीक्षकों के कंधों पर सौंप दी है। एक नहीं बल्कि 10 से 12 थानों में यही आलम देखने को मिल रहा है। जिसमें देवगढ़, बांगचीनी, महुआ, माता बसैया, रिठौरा टेटरा और रामपुर थाने शामिल है।
इन सबके अलावा महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने जो महिला थाना शुरू किया है। उसमें तीन निरीक्षक होने के बावजूद भी सारी जिम्मेदारी उप निरीक्षक को सौंप दी गई है।
मुरैना में दयनीय है स्थिति
वहीं जिले के ऐसे थाने जहां पर प्रभारी उप निरीक्षक है वहां की स्थिति अत्यंत दयनीय है। बात अगर थाने की करी जाए जहां के प्रभारी अरुण कुशवाहा है वह कलेक्टर द्वारा रेत पर पाबंदी लगाए जाने के बावजूद भी अपने क्षेत्र में चल रहे अवैध खनन को रोकने में असमर्थ हैं या फिर यह कहे कि इसे रोकना नहीं चाहते हैं। माता बसैया थाने के उप निरीक्षक केके सिंह पर अपराधिक मुकदमे तक दर्ज है, ऐसे में ये सोचने वाली बात है की जिसपर खुद मुकदमा हो वो अपराध पर कैसे नियंत्रण करेगा।
न जाने कितने थाने हैं जिनकी व्यवस्था की कमान उप निरीक्षकों पर छोड़ दी गई हैं। ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि आखिरकार बड़े-बड़े पुलिस अधिकारियों द्वारा इस तरह से सुरक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है। अनुभवी और विपरीत परिस्थितियों में सामंजस्य बैठाने वाले निरीक्षकों को लाइन में बैठा कर रखना और नए युवा उप निरीक्षकों को बिना अनुभव के महत्वपूर्ण थानों का चार्ज देना आखिर ये किसके इशारे पर किया जा रहा है। जो भोली भाली जनता इन थाना क्षेत्रों में रहती है इनकी सुरक्षा के दायित्व से जुड़ा ये बहुत ही अहम सवाल है।
मुरैना से नितेंद्र शर्मा की रिपोर्ट।