प्राचीन शनि मंदिर में बढ़ेंगी सुविधाएं, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया प्रवेश द्वार का भूमिपूजन

Atul Saxena
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Morena Shani Mandir : मुरैना जिले में ऐती पर्वत पर हजारों साल से बिराजे शनि महाराज के कारण ग्वालियर चम्बल सहित आसपास का एक बड़ा क्षेत्र शनि के प्रभाव वाला क्षेत्र कहलाता है, राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित इस शनि मंदिर के दर्शनों के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं, पहाड़ पर होने के कारण यहाँ कई सुविधाओं का अभाव है जिसे पूरा किया जा रहा है , क्षेत्रीय सांसद एवं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह (Union Minister Narendra Singh Tomar) ने आज मंदिर के प्रवेश द्वार के भूमिपूजन कर इसकी शुरुआत की ।

प्राचीन शनि मंदिर में बढ़ेंगी सुविधाएं, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया प्रवेश द्वार का भूमिपूजन

आपको बता दें कि ऐती पर्वत पर स्थित शनि मंदिर पर लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं, शनि मंदिर का सौंदर्यीकरण करने की दृष्टि से विस्तार करने की योजना बनाई गई है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनि मंदिर पर विधि विधान से मुख्य द्वार का भूमिपूजन किया, इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सबके लिये सौभाग्य की बात है कि प्राचीन काल से शनि भगवान इस चंबल की धरती ऐंती पर्वत पर विराजमान है, यहां शनिश्चरी अमावस्या के अलावा प्रत्येक शनिवार को भी लाखों की संख्या में श्रृद्धालु पहुंचते है।

उन्होंने कहा कि हम सब जानते है कि लाखों लोगों का आवागमन शनि दर्शन के लिए आते हैं, भक्तों के लिए सुविधाओं के साथ-साथ कुछ बदलाव किया जाना जरूरी है। इसलिये शनि मंदिर के मुख्य द्वार का भूमिपूजन किया गया है, ये भव्य और बहुत सुंदर होगा। मंदिर के परिक्रमा मार्ग के विकास कार्य भी किये जा रहे है और इसके साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण संरचनाओं को पूरा करने के लिए भी योजना बनाई जा रही है, शनि मंदिर का सौंदर्यीकरण हो इसके लिये मंदिर का कॉरिडोर भी बनाया जायेगा।

शनि मंदिर के गर्भगृह के ठीक सामने ऊपर शनि गेट का निर्माण किया गया हैं, मंदिर परिसर से निकलने वाला पानी भी पुलिया के नीचे होकर तालाब में छोड़ा जाएगा। मंदिर पर दर्शन करने वालों की भीड़ दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं मुख्य द्वार बनने के बाद परिक्रमा मार्ग को विकसित करने की योजना बनाई जा रही हैं। शनि मंदिर का नया रूप तैयार करने में सिर्फ स्टोन का प्रयोग किया जाएगा स्टील का प्रयोग नहीं किया जाएगा जिससे इनकी प्राचीन भव्यता बनी रहे।

मुरैना से संजय दीक्षित की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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