घिरोना मंदिर से युवक लापता,पुलिस अधीक्षक को दिया ज्ञापन

Gaurav Sharma
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मुरैना, संजय दीक्षित। जिले के घिरोना मन्दिर के महंत के साथ कई लोगों ने सिविल लाइन थाने में पहुंचकर मंदिर से लापता हुए युवक की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी हैं। साथ ही हनुमान जी मंदिर के महंत प्रेमदास ने मामले को लेकर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन देकर मुलाकात भी की हैं।

महंत ने बताया कि शनिवार की शाम से बैतूल का रहने वाला युवक दुर्गश हमारे यहां गौ सेवा का कार्य करता था, जो शनिवार से लापता हो गया है। इस मामले की शिकायत थाना सिविल लाइन में भी दर्ज करा दी गई है। संभवत ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति उसे जबरन उठाकर ले गया है। युवक बहुत सीधा सादा हैं। युवक का किसी दबंग लोगों ने अपहरण किया है। करीब डेढ़ साल पहले भी राजेश आदिवासी नाम का युवक भी इसी तरह रहस्मयी तरीके से गायब हुआ था। राजेश आदिवासी और दुर्गेश आदिवासी दोनो ही मौसेरे भाई हैं। जो बैतूल से घिरोना मन्दिर पर आए थे। इस मामले में पुलिस अधीक्षक ने तत्काल निराकरण करवाने का आश्वासन दिया हैं।

इस संबंध में सरपंच बृज किशोर दंडोतिया ने कहा है कि इससे पूर्व भी यहां एक ऐसी घटना हो चुकी है। एक बार व्यक्ति ऐसे ही यहां काम करता था वह भी लापता हो गया उसका पता आज तक नहीं चल सका है। ऐसे मामले होने से मंदिर की आस्था में भी लोगों को दिक्कत आती है, इसलिए इस मामला पर पुलिस शीघ्र कार्रवाई कर युवक की खोज करे, जिससे धार्मिक स्थानों की कार्यप्रणाली में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न ना हो। इस मौके पर घिरोना मंदिर के सभी संत महात्मा और भक्त गण उपस्थित थे।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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