भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश वाणिज्यकर विभाग ने पिछले 4 सालों में कुछ विभागों द्वारा सरकारी ट्रेजरी के द्वारा ठेकेदारों को किए गए पेमेंट पर सवाल उठाते हुए नोटिस जारी किया है। विभागों ने ठेकेदारों को यह पेमेंट तो किया है लेकिन इसमें टीडीएस यानी टैक्स डिडक्शन एट द सोर्स कट नहीं किया है, जिसके चलते अब विभागों को यह टैक्स खुद ही भरना होगा।
जल निगम, पीएचई, सिंचाई पीडब्ल्यूडी सहित कई ऐसे विभाग हैं जहां यह लापरवाही पाई गई है। इसी को देखते हुए अब इन विभागों को 25 सितंबर तक 2% टीडीएस जमा करने से संबंधित नोटिस भेजा गया है। अगर समय पर यह जमा नहीं किया गया तो विभागों के अधिकारियों पर 10 10 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा।
विभागों ने जो भुगतान किए हैं उसमें से कुछ का अमाउंट 10 हजार से भी कम है। यही वजह है कि बन रहे टीडीएस जितना अमाउंट पेनल्टी के रूप में देना होगा। इन सभी चीजों जिम्मेदारी डीडीओ ऑफिसर की होती है इसलिए उनसे ही यह टैक्स वसूला जाएगा।
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वाणिज्यकर विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक यह मामला सिर्फ 2% टीडीएस का नहीं है बल्कि 18% का है। कांट्रेक्टर को किए हुए पेमेंट की जो जानकारी विभाग के पास जाती है उस पर 18% जीएसटी लगता है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर विभाग पर 20 करोड़ रुपए बकाया है तो ठेकेदारों पर यह रकम 180 करोड़ों रुपए होगी।